पिछले महीने फ़ीस बढ़ोतरी के ख़िलाफ़ जेएनयू कैम्पस के अंदर हुआ प्रदर्शन काफ़ी हिंसक हो गया था, इसलिए पुलिस ने सार्वजनिक स्थल पर प्रदर्शन को लेकर पूरी मुस्तैदी दिखाई। जेएनयू की तरफ जाने वाली सड़कों पर आवागमन रोक दिया गया था।
"आग शॉर्ट सर्किट के कारण लगी। आग लगने के बाद उठे धुएँ के कारण परिसर में बहुत सारा प्लास्टिक था। अधिकतर मौतें धुएँ के कारण श्वासावरोध के कारण हुईं। हमने अधिकांश घायलों को एलएनजेपी अस्पताल और लेडी हार्डिंग अस्पताल में ट्रांसफर कर दिया है।"
सेंधमारी के लिए ऐसे घरों का चयन किया जाता था, जो काफ़ी समय से बंद हों और वहाँ कोई रहता न हो। इसके बाद आरोपित उस घर में सेंधमारी करने जाते थे तो अच्छे कपड़े पहनकर जाते थे, जिससे पड़ोसियों को लगे कि वो उस घर के सदस्यों के कोई रिश्तेदार हों।
दिल्ली के रानी झाँसी रोड पर रविवार (दिसंबर 8, 2019) सुबह अनाज मंडी में भीषण आग लग गई। ताजा जानकारी के अनुसार आग में झुलसने से 43 लोगों की मौत हो चुकी है। दिल्ली पुलिस ने इसकी जानकारी दी है।
अदालत ने पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि FIR शिकायतकर्ता के शब्दों में होनी चाहिए। भारी-भरकम शब्द की जगह आसान भाषा का इस्तेमाल होना चाहिए। लोगों को ये पता होना चाहिए कि क्या लिखा गया है।
हरविंदर ने दिल्ली के संसद मार्ग स्थित एनडीएमसी सेंटर में एक कार्यक्रम से लौट रहे पवार को 2011 में थप्पड़ जड़ दिया था। इस घटना से कुछ ही दिन पहले उसने पूर्व मंत्री सुखराम पर भी हमला बोला था।
महिला अधिकारी को बचाने के दौरान एक एसएचओ व कई पुलिसकर्मी भी घायल हो गए। हमलावर के बारे में अभी कुछ नहीं पता चल सका है, इसकी जाँच जारी है। इस घटना को संज्ञान में लेते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग की चेयर पर्सन रेखा शर्मा ने जाँच की माँग की है।
यदि वकीलों ने लॉकअप को पहले तोड़ने की कोशिश की और उसमें असफ़ल रहने पर आगजनी का सहारा लिया, जैसा कि एडिशनल डीसीपी (नॉर्थ) का दावा है, तो यह निष्पक्ष और बेहद गंभीर जाँच का विषय होना चाहिए कि यह जेल तोड़ने का प्रयास महज़ गुस्से की अभिव्यक्ति था, या इसके पीछे कोई ठंडे दिमाग से बनाई गई योजना थी।
एक सुप्रीम कोर्ट वकील ने दिल्ली के कमिश्नर अमूल्य पटनायक को क़ानूनी नोटिस भेजा है क्योंकि उन्होंने प्रदर्शन कर रहे पुलिस वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की।