ऐसे बहुत से विदेशी नागरिक हैं जो भारतीय परंपराओं को सर्वोपरि मानते हैं और उसे आत्मसात करने का पूरा प्रयास करते हैं। हमारे देश की सभ्यता का गुणगान जब दूसरे देश के लोग करते हैं तो शायद ही ऐसा कोई भारतीय होगा जिसका सिर गर्व से ऊँचा नहीं उठेगा।
अगर स्त्री शक्ति नष्ट हो गई, तो जीवन की सभी सुंदर, सौम्य, सहज और पोषणकारी प्रवृत्तियाँ लुप्त हो जाएँगी। जीवन की अग्नि हमेशा के लिए नष्ट हो जाएगी। यह बहुत बड़ा नुकसान है, जिसकी भरपाई करना आसान नहीं होगा।
खड़े हुए हनुमान जी की मूर्तियाँ कई जगह इससे बड़ी-बड़ी हैं लेकिन इस पोज में बनी यह ऐसी पहली विशाल मूर्ति है। इस मूर्ति का निर्माण राजस्थान के आर्किटेक्ट नरेश ने किया है।
एक शिक्षित समुदाय के बीच इस तरह का चलन शोभा नहीं देता। अगर आँकड़ों की बात करें तो पता चलता है कि पिछले एक दशक में जैन समुदाय की जनसंख्या में 50% की वृद्धि आई है। ऐसे में जैन समिति के बीच इस तरह की बेचैनी का कोई कारण नहीं बनता।
पांडवों के अज्ञातवास काल में युधिष्ठिर ने लाखामंडल स्थित लाक्षेश्वर मंदिर के प्रांगण में जिस शिवलिंग की स्थापना की थी, वह आज भी विद्यमान है। इसी लिंग के सामने दो द्वारपालों की मूर्तियाँ हैं, जो पश्चिम की ओर मुँह करके खड़े हैं।
पौराणिक मान्यता है कि माता सती की मृत्यु होने पर जब शिव रोए थे तो उनके अश्रुओं से एक नदी बन गई थी। इस नदी से दो सरोवर बने। एक तो भारत के पुष्कर में है और दूसरी पाकिस्तान के कटासराज में।
CERN - स्विटजरलैंड में स्थित नाभिकीय प्रयोगशाला। यह धरती पर भौतिकी की सबसे बड़ी प्रयोगशाला है, जहाँ अणुओं की सारी तोड़-फोड़ हो रही है। वहाँ के प्रवेशद्वार के सामने नटराज की एक मूर्ति है। मूर्ति इसलिए क्योंकि...
वह सबसे सुंदर हैं तो सबसे भद्दे और बदसूरत भी। अगर वो सबसे बड़े योगी व तपस्वी हैं तो सबसे बड़े गृहस्थ भी। वह सबसे अनुशासित भी हैं, सबसे बड़े पियक्कड़ और नशेड़ी भी। वे महान नर्तक हैं तो पूर्णत: स्थिर भी।
महाशिवरात्रि आपको अपने बोध से परिचय कराने की रात्रि है। योग परम्परा के अनुसार बात की जाए तो ख़ुद को अस्तित्व से जोड़ लेने की रात। यह एक ऐसी रात है, जब प्रकृति स्वयं मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक जाने में मदद करती है।