आदित्य ठाकरे ट्विटर पर लिखा कि मेट्रो के जिस कार्य को गर्व से किया जाना चाहिए था, उसे धूर्तता के साथ रात के अंधेरे में चोर-छिपे किया जा रहा है। उन्होंने अधिकारियों को पेड़ काटने की जगह पीओके में आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करने की सलाह दी।
मीडिया रिपोर्टों में इस फैसले से मंदी गहराने की आशंकता जताई गई थी। सरकार ने बताया है कि 11 सितंबर को मोदी द्वारा शुरू किया गया ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान सिंगल-यूज़ प्लास्टिक का इस्तेमाल रोकने के लिए नहीं, बल्कि जागरूकता बढ़ाने और जनांदोलन के ज़रिए इसका इस्तेमाल बंद करने का है।
ईशा फाउंडेशन ने यह भी बताया कि सद्गुरु को United Nations Convention to Combat Desertification (UNCCD) के COP14 शिखर सम्मेलन में Cauvery Calling अभियान के बारे में बोलने के लिए निमंत्रित किया गया था। वे भारत में इस अभियान की सफलता से प्रभावित हो इसे दुनिया-भर में करने के बारे में जानना चाहते थे।
अपने SUV कारों से 'Save Aarey' प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले सेलेब्स क्या मुंबई की करोड़ों लोगों की ज़रूरतों को समझते भी हैं? सरकार 2185 पेड़ काटेगी तो 13,000 से भी अधिक लगाएगी भी। 3000 एकड़ के आरे क्षेत्र के 2.5% की ही मेट्रो को ज़रूरत है।
उन्होंने कहा कि दूध, दही और माखन के बिना श्रीकृष्ण की कल्पना की ही नहीं जा सकती। पीएम मोदी ने समझाया कि जिस तरह प्रकृति, पशुधन और पर्यावरण के बिना भगवान कृष्ण अधूरे नज़र आते हैं, उसी तरह इनके बिना भारत भी अधूरा लगेगा। उन्होंने प्रकृति से संतुलन बना कर चलने की अपील की।
"जैसे लोकमान्य तिलक ने कहा था कि स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, वैसे ही अब जबकि हम आज़ादी के 75 वर्षों की तरफ बढ़ रहे हैं, तो हमें कहना चाहिए कि 'सुराज्य' हमारा कर्त्तव्य है।"
रिसर्च के मुताबिक बेल्ट एन्ड रोड में शामिल 126 देश दुनिया की 28% एमिशन के लिए ज़िम्मेदार हैं और 2050 तक ये आँकड़ा 66% तक चला जाएगा। चीन विश्व का सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक है और दुनिया में मानव जनित कार्बन उत्सर्जन में 30 फीसद योगदान उसी का रहता है।
अपने 'बीच एक्टिविज़्म' के लिए शाह को 'चैंपियन ऑफ़ अर्थ' का ख़िताब संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम से मिल चुका है। शाह के अभियान ने वर्सोवा बीच की कायापलट कर दी।
"मंत्रालय तो पहले भी थे, योजनाएँ भी हैं लोकिन जब तक आप जिम्मेदारी फिक्स नहीं करेंगे, मंत्रालय तो मंत्री, सेक्रेटरी, इंजीनियर जुटाने का जरिया बन कर रह जाएगा। लोगों को शामिल करने से पहले सरकार को इस आपदा को बहुत गंभीरता से लेना चाहिए।"
यह सब देखकर पर्यावरणविद चिंतित हैं। साथ ही उनका कहना है कि आने वाले समय अगर पर्यावरण पर ध्यान नहीं दिया गया तो पर्यावरणीय क्षति पक्षियों के साथ-साथ मनुष्यों के लिए भी घातक परिणाम लेकर आने वाला है।