कितने प्यारे दिन थे जब हर दस-पंद्रह दिन में एक बार शर्मिंदा हो लेते थे। जब मन कहता नारे लगा लेते। धमकी दे लेते थे कि टुकड़े होकर रहेंगे, इंशा अल्लाह इंशा अल्लाह।
केंद्र सरकार के इस निर्णय को लेकर जिस तरह से क्रेडिट लेने और देने की होड़ मची हुई है, वह दर्शाता है कि ऐसे निर्णयों को या ऐसी घोषणा का विपक्ष या मोदी विरोधियों के लिए क्या महत्व है।
सेंट्रल विस्टा पर प्रोपेगेंडा के बीच एक तथ्य यह भी है कि कभी अखबारों में बड़े-बड़े विज्ञापन देकर मोटे अक्षरों में संसद को गिरा देने का वादा किया गया था।
मीडिया गिरोह और भारत के राष्ट्रवादी लोगों का युद्ध बहुत आगे तक चलने वाला है। इस युद्ध में इतना तो निश्चित है कि मीडिया, हिंदुओं और भारत के हितों पर जोरदार प्रहार करने वाला है और उसके सामने खड़े हैं प्रधानमंत्री मोदी और उनका समर्थन करने वाले करोड़ों हिन्दू।