"ये अधिकारीगण मायावती से शिष्टाचार मुलाक़ात के लिए पहुँच रहे हैं। इनमें से अधिकतर ऐसे हैं, जिन्होंने उनके मुख्यमंत्रित्व काल में काम किया था। इनमें से कुछ का सम्बन्ध बहुजन समाज से है। ये अधिकारी बहन जी को मौजूदा स्थितियों से अवगत भी करा रहे हैं।"
शरद पवार ने चंद्रबाबू नायडू से बैठक के दौरान उन्हें झटका दिया। नायडू ने राहुल गाँधी, सीताराम येचुरी, अरविन्द केजरीवाल और अभिसेक सिंघवी से मुलाक़ात की है। वह सोनिया और ममता से भी मिलेंगे।उधर मायावती ने सोनिया गाँधी से मुलाक़ात रद्द कर दी है।
उन्होंने मायावती के द्वारा भाजपा को मनुवादी बोलने पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि भाजपा मुनुवादी थी तो उन्होंने पार्टी का समर्थन लेकर सरकार क्यों बनाई? उस समय उन्हें सत्ता सुख चाहिए था, तो भाजपा मनुवादी नहीं थी। 2014 में जब लोकसभा चुनाव में वो जीरो पर आ गईं, तो भाजपा पर हमलावर हो गई हैं।
मायावती को पिछले 33 वर्षों से क़रीब से जानने की बात करते हुए नसीमुद्दीन ने कहा कि राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं होता। मायावती पर इस तरह का दबाव बनेगा कि वह भाजपा का हिस्सा बन जाएँगी। नसीमुद्दीन ने दावा किया कि जितना वह मायावती को जानते हैं, उतना वह स्वयं को भी नहीं जानतीं।
"वो दूसरों की पत्नियों व बहनों की इज़्ज़त कैसे कर सकते हैं, जब उन्होंने राजनीतिक फ़ायदे के लिए ख़ुद की ही पत्नी को छोड़ दिया। मुझे तो यह भी पता चला है कि भाजपा में ख़ासकर विवाहित महिलाएँ अपने पतियों को पीएम मोदी के नजदीक जाते देख कर यह सोचते हुए काफ़ी घबराई रहती हैं।"
मायावती ने कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को राजस्थान की कॉन्ग्रेस सरकार एवं पुलिस प्रशासन के विरुद्ध भी सख्त कदम उठाना चाहिए, जिन्होंने वहाँ राजनीतिक स्वार्थ के लिए पुलिस और प्रशासन पर दबाव बनाकर इस मामले को दबाए रखा।
मायावती मोदी का राजनीतिक विरोध करते-करते भूल गईं कि अनुसूचित जाति/दलितों के उलट पिछड़ी जातियों के पिछड़ेपन के विमर्श में आर्थिक फैक्टर महत्वपूर्ण हो जाता है।
पिछले साल रवीश कुमार द्वारा संचालित एक कार्यक्रम में, सपा नेता अखिलेश यादव ने कहा था कि उन्हें उस पत्रकार की हत्या नहीं करने का पछतावा है जिसने उनकी आलोचना की थी। रवीश कुमार ने अखिलेश यादव की सहनशीलता की प्रशंसा करते हुए उस शो की शुरुआत की थी।
मायावती ने महागठबंधन के समर्थकों से अपील की है कि वो लोग 6 मई को रायबरेली और अमेठी लोकसभा सीट पर होने वाले मतदान में कॉन्ग्रेस नेताओं के पक्ष में वोट करें।
मायावती ने ट्वीट करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में कॉन्ग्रेसी नेताओं द्वारा जो यह प्रचार किया जा रहा है कि भाजपा भले ही जीत जाए, लेकिन बसपा-सपा गठबंधन को नहीं जीतना चाहिए, यह कॉन्ग्रेस पार्टी के जातिवादी, संकीर्ण व दोगले चरित्र को दर्शाता है।