एनडीटीवी पर अपने प्राइम टाइम शो में पत्रकार रवीश कुमार ने निलंबित पुलिस अधिकीरी देविंदर सिंह के बारे में झूठ बोला कि मामले में चार्जशीट दायर न होने के कारण उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया था।
रवीश आज भी नेहरू-इंदिरा के अहंकार के उस दौर से आतंकित हैं, जब मनचाहे तरीकों से सत्ता, समाज और संस्थाओं को अपने नियंत्रण में रखा करती थी। लप्रेकी रवीश इस नींद से जागना नहीं चाहते क्योंकि उन्हें 'दंगा साहित्य' पसंद है।
प्रोपेगेंडा पोर्टल 'कारवाँ' के एक पत्रकार ने ट्विटर पर भारतीय रेलवे के कारण हुई मौत को लेकर फर्जी सूचना जारी की है। कारवाँ के लेखक ने ट्विटर पर दावा किया है कि ट्रेन में 10 यात्रियों की भूख से मौत हो गई।
रवीश कुमार ने अपने फेसबुक पेज पर ‘दैनिक भास्कर’ अखबार की एक ऐसी ही भावुक किन्तु फ़ेक तस्वीर शेयर की है जिसे कि भारतीय रेलवे एकदम बेबुनियाद बताते हुए पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि ये पूरी की पूरी रिपोर्ट अर्धसत्य और गलत सूचनाओं से भरी हुई है।
रवीश कुमार की आर्थिक पैकेज पर अज्ञानता; श्रमिकों की चिंता है, लेकिन योगी बस की स्थिति चेक न करे; Y2K पर विशुद्ध झूठ; लोगों को भड़काने की कोशिश जारी है।
यूट्यूब बनाम टिकटॉक युवाओं के दो गुटों के बीच पनप रही प्रतिस्पर्धा और वर्चस्व की लड़ाई नहीं है। ये दरअसल एकक्षत्र राज कर रहे अभिजात हिन्दू बहुल यूट्यूब और उसे चुनौती दे रहे वंचित मजहब बहुल टिकटॉक के बीच का संघर्ष है।
रवीश कुमार ने कई मुद्दों पर बात की, लेकिन उनका मुख्य फोकस यही रहा है कि भारत बर्बाद हो चुका है। टेस्टिंग महीं हो रही है। हम कोविड से नहीं लड़ पा रहे हैं। इस आदमी ने लिखना तो कम किया है, लेकिन जितना लिख रहा है प्रपंच और फ़र्ज़ी बातें ही कर रहा है।