Friday, July 18, 2025
Homeविचारराजनैतिक मुद्देदिल्ली में बाहरी का इलाज नहीं होगा: काश कि ये पोस्ट रवीश लिखते... नहीं...

दिल्ली में बाहरी का इलाज नहीं होगा: काश कि ये पोस्ट रवीश लिखते… नहीं लिखा तो हमने लिख दिया

दिल्ली में रह रहे 'बाहरी लोग' उम्मीद लगाए बैठे हैं कि किसी दिन प्राइम टाइम में उनकी व्यथा भी दिखाई जाएगी। देखने वाली बात यह होगी कि दबे-कुचलों का मसीहा कहलाने वाले और हर दिन अपने पास सैकड़ों आम आदमी के व्हाट्सएप मैसेज पहुँचने का दावा करने वाले रवीश कुमार के पास इस समस्या से संबंधित मरीजों का संदेश पहुँच पाता है या नहीं?

कल तक अखंड भारत के नक्शे के सामने खड़े हो भारत माता और राष्ट्रवाद के नाम पर वोट माँग प्राधिकरण में आने वाले और हिंदुस्तान में नई तरह की राजनीति के मसीहा अरविंद केजरीवाल ने साफ कह दिया है कि दिल्ली में रहने वाले किसी भी ऐसे व्यक्ति का इलाज दिल्ली सरकार नहीं कराएगी, जिसके पास दिल्लीवासी होने के कागजात नहीं हैं।

इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने ऐसे तमाम दस्तावेजों की एक सूची जारी की है, जिनको दिखाए बिना कोई भी मरीज सरकारी अस्पतालों में अपना इलाज नहीं करा पाएगा। खुद को हरियाणा की पैदाइश और गाजियाबाद के निवासी बताने वाले केजरीवाल किस आधार पर दिल्ली के बाहर के लोगों के लिए इतनी नफरत से भरे हैं, ये बिलकुल ही समझ से परे है।

लगता है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री स्मृति विलोप के शिकार हो अदालत की पिछली फटकार को भूल चुके हैं, जो उन्हें कथित तौर पर दिल्लीवालों के साथ भेदभाव करने के लिए पड़ी थी। अगर उन्होंने याद रखते हुए यह सब किया है तो वे अपनी क्षुद्र राजनीति के लिए दिल्लीवासियों का इस्तेमाल कर अदालत और संविधान की भावना के खिलाफ जाने का अपराध कर रहे हैं।

बात क्षेत्र और जाति आधारित राजनीति की हो तो खुद को दबे-कुचलों का मसीहा कहलाने वाले रवीश कुमार का जिक्र यहाँ बहुत ही जरूरी हो जाता है। वही रवीश कुमार, जो हर शाम प्राइम टाइम में आकर कहते हैं कि लोगों को अब सिर्फ उनसे उम्मीद रह गई है। सरकार और न्यायपलिका तो बस नई दुल्हन की तरह मुँह दिखाने के लिए रह गई है।

बिहार, उत्तर प्रदेश और हरियाणा आदि राज्य की जनता उन्हें ढूँढ रही है, उम्मीद लगाए बैठी है कि किसी दिन प्राइम टाइम में उनकी व्यथा भी दिखाई जाएगी। देखने वाली बात यह होगी कि हर दिन अपने पास सैकड़ों आम आदमी के व्हाट्सएप मैसेज पहुँचने का दावा करने वाले रवीश कुमार के पास इस समस्या से संबंधित मरीजों का संदेश पहुँच पाता है या नहीं?

जिस मुख्यमंत्री ने कोरोना की बीमारी के बाद अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए केंद्र से 5000 करोड़ रुपए का पैकेज माँगा, वही आज बाहर के बीमारों के लिए इलाज नहीं करने की बात कर रहे हैं।

दिल्ली के रामलीला मैदान में संविधान और जनता के अधिकारों के समक्ष ‘तीसरी कसम’ खाने वाले केजरीवाल यह भूल गए कि जनता ने उन्हें जनादेश क्यों दिया था। अरविंद केजरीवाल ने खुद को कॉन्ग्रेस के विकल्प के रूप में पेश किया था। इन्होंने अन्ना हजारे की पहचान की टोपी में सिर घुसाने के बाद वाम की जमीन पर अपनी खास आम आदमी वाली छवि की फसल काटी। मजदूरों को ठेकेदारों से मुक्ति दिलाने का वादा करने वाले केजरीवाल खुद ही ठेकेदार वाली भाषा बोल कर भेदभाव की लठैती पर उतर आए हैं।

दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने के लिए नवउदारवादी राजनीति के खिलाफ जाकर बिजली, पानी और परिवहन के मुद्दे पर पूरी दुनिया की वाहवाही बटोरी। जनता को शासक से मुक्त कर आम आदमी को सत्ता में हिस्सेदार बनाने का सपना दिखाया। कहा था कि हम शासक नहीं होंगे, जनता को सशक्त करेंगे। लेकिन मुख्यमंत्री अब जनता को ही संकीर्ण सोच में बाँट रहे हैं। महज दस-बीस साल पहले उत्तर प्रदेश, बिहार या हरियाणा से आकर दिल्ली का मतदाता बना शख्स बाहर से आकर मुख्यमंत्री बने केजरीवाल को बताएगा कि दिल्ली में बाहरी लोगों का इलाज होना चाहिए या नहीं।

नेता की भूमिका जनता का नेतृत्व करना, उसे नया रास्ता दिखाने की होती है। जनता को सोच, विचार, चेतना से लैस कर राजनीतिक दखल करवाने की होती है। लेकिन इसके उलट केजरीवाल जनता के मन को मैला कर रहे हैं। क्या स्वास्थ्य सेवा का मतलब सिर्फ अपने घर के लोगों का इलाज करना होता है? नेता की तरह जनता की सोच भी इतनी क्षुद्र हो जाएगी तो क्या होगा? कारखाना चलाने के लिए दूसरे राज्यों से मजदूर चाहिए, लेकिन उन्हीं राज्यों से बीमार आएँगे तो उन्हें इलाज नहीं देंगे।

सवाल यहाँ पर यह भी उठता है कि दिल्ली के लोगों को ही समय पर इलाज नहीं मिल रहा है तो दूसरे राज्यों के मरीजों को क्या इलाज मुहैया करा पाएँगे मुख्यमंत्री केजरीवाल। केजरीवाल सरकार लगातार हॉस्पिटल में इलाज और बेड के उपलब्ध होने का दावा करते हैं, मगर कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहाँ मरीजों को अस्पताल नहीं मिला, इलाज नहीं मिला, जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई। ऐसे एक दो नहीं कई मामले हैं, मगर इस पर केजरीवाल सरकार के पास कोई जवाब नहीं है।

दिल्ली सरकार की हेल्पलाइन नंबर पर भी मरीजों को जवाब नहीं दिया जाता। दिल्ली अस्पताल की व्यवस्था का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि बीते दिनों दो व्यक्ति को LNJP अस्पताल के बाहर से ठेले पर शव ले जाते हुए दिखाई दिए। लोकनायक अस्पताल में शवों की बदतर स्थिति को देखते हुए हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार और तीनों नगर निगमों को नोटिस भी जारी किया था।

दिल्ली प्रदेश कॉन्ग्रेस कमिटी के पूर्व अध्यक्ष अजय माकन ने भी कोरोना से मौतों के आँकड़े छुपाने का आरोप लगाया। कोरोना वायरस की वजह से हुई मौत को लेकर अस्पताल द्वारा दिए जा रहे आँकड़े और दिल्ली सरकार के हेल्थ बुलेटिन में काफी अंतर पाया गया। स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक दिल्ली में कुल 28936 कोरोना संक्रमित मामले हैं और मौत की दर इतनी तेजी से बढ़ रही है कि सरकार को नए कब्रिस्तान-शमशान घाट की तलाश करनी पड़ रही है। साथ ही वर्तमान शमशान घाटों-कब्रिस्तानों की क्षमता भी बढ़ाई जा रही है। पहले जहाँ श्मशान घाटों में 45-50 शवों के अंतिम संस्कार की क्षमता थी, उसे बढ़ाकर निगमों ने 100 प्रतिदिन कर दिया है।

केजरीवाल की राष्ट्रीयता की भावना संकीर्णतावाद के इस निम्नतम स्तर पर है कि वो प्रतिक्रियावादी बन जाने के लिए मजबूर करते हैं। केजरीवाल जनता के बीच वैमनस्य पैदा कर रहे हैं। हरियाणा और उत्तर प्रदेश के साथ दिल्ली का एक सहज रिश्ता है, जिसमें वह जहर घोल रहे हैं। वैमनस्यता का यह विषाणु कोरोना से भी ज्यादा घातक है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

'द वायर' जैसे राष्ट्रवादी विचारधारा के विरोधी वेबसाइट्स को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

वोटर्स के बदले BLO ने नहीं किए सूची पर साइन, वो लिस्ट मृत मतदाताओं की थी: यूट्यूबर अजीत अंजुम का पटना DM ने किया...

जिस BLO की रिपोर्टिंग के दम पर अजीत अंजुम उछल रहे उसे पटना के DM खारिज किया। बताया कि शांति देवी और चंद्रप्रकाश शाह दोनों मृत मतदाता हैं, जिस पर BLO अपने हस्ताक्षर कर रहे हैं।

गैर-जिम्मेदाराना और मनगढ़ंत सारी बात…एअर इंडिया प्लेन क्रैश पर विदेशी मीडिया को AAIB ने लगाई लताड़: ‘पायलट पर आरोप’ वाली खबरों को नकारा, कहा-...

12 जून को अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे पर विदेशी मीडिया की रिपोर्ट को एएआईबी ने गैरजिम्मेदाराना और मनगढ़ंत बताया है।
- विज्ञापन -