सोनिया गॉंधी ने कॉंन्ग्रेस की कमान संभालने के बाद तंवर को उनके पद से हटा कर पूर्व केंद्रीय मंत्री शैलजा को प्रदेश की जिम्मेदारी दी थी। साथ ही हुड्डा को भी आगे किया जा रहा है, जबकि राहुल गॉंधी ने पूर्व मुख्यमंत्री की तमाम चेतावनियों के बावजूद तंवर को उनके पद से हटाने से इनकार कर दिया था।
मुंबई कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष निरुपम टिकट बॅंटवारे के बाद से खुलकर अपनी नाराजगी जता रहे हैं। उन्होंने दावा किया है कि मुंबई की 3-4 सीटों को छोड़ सभी पर कॉन्ग्रेस उम्मीदवारों की जमानत जब्त होगी। साथ ही प्रचार से दूर रहने की बात भी दोहराई है।
"कॉन्ग्रेस सांसद राहुल गाँधी चाहते हैं कि राष्ट्रीय राजमार्ग बांदीपुर वन से गुज़रने वाले वाहनों को रात के समय भी वाहनों के आवागमन के लिए खोला जाए। इससे स्पष्ट है कि जंगली जानवरों की सुरक्षा और जीवन की तुलना में कॉन्ग्रेस के लिए विभिन्न माफ़ियाओं के हित अधिक महत्वपूर्ण हैं।"
निरुपम और तंवर दोनों टिकट बॅंटवारे में उपेक्षा से नाराज हैं। तंवर राहुल के काफी करीबी माने जाते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की चेतावनियों के बावजूद राहुल ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से नहीं हटाया था। सोनिया के कमान सॅंभालने के बाद तंवर की अनदेखी कर हुड्डा को आगे किया गया।
टिकट बॅंटवारे के बाद हरियाणा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर और मुंबई के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम ने खुलकर अपनी नाराजगी जताई है। निरुपम ने पार्टी छोड़ने की धमकी दी है। एक के बाद एक दो ट्वीट कर उन्होंने कहा कि शायद पार्टी को अब उनकी जरूरत नहीं रही।
आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से पाक लगातार कॉन्ग्रेस को हथियार बनाकर भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है। उसने संयुक्त राष्ट्र को लिखे पत्र में राहुल गॉंधी के बयान का जिक्र किया था। बाद में राहुल ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश करते हुए कहा था कि कश्मीर में हिंसा के पीछे पाकिस्तान का हाथ है।
ब्रिटिश होने के बावजूद टली भारत की वास्तविकताओं को उस राजनीतिक दल से कहीं अधिक समझते हैं जिसने दशकों तक देश पर शासन किया है। जिस हकीकत को टली जैसे विदेशी समझ लेते हैं वह कॉन्ग्रेस क्यों नहीं समझ पाती है, ये पूरी तरह से समझ से परे है।
राहुल गाँधी ने चुनाव के दौरान सरकार गठन के 10 दिनों के भीतर किसानों की क़र्ज़माफ़ी करने का ऐलान किया था। लेकिन लक्ष्मण सिंह के कहना है कि क़र्ज़माफ़ी किसी भी क़ीमत पर संभव नहीं है। राहुल गाँधी को ऐसा वादा नहीं करना चाहिए था।
32 साल की उम्र में विश्वेश्वरैया ने सिंधु नदी से सुक्कुर कस्बे को पानी भेजने की योजना तैयार की थी। उन्हें 'कर्नाटक का भागीरथ' भी कहा जाता है। उन्होंने बॉंध से पानी के बहाव को रोकने के लिए स्टील के स्वचालित द्वार और सिंचाई के लिए ब्लॉक सिस्टम विकसित किया जो इंजीनियरिंग का अद्भुत कारनामा माने जाते हैं।
फ़िरोज़ गाँधी भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ अभियान चलाने वाले अग्रणी नेताओं में से एक थे। नेहरू युग में एलआईसी कम्पनी में हुए घोटाले के ख़िलाफ़ फ़िरोज़ द्वारा आवाज़ उठाए जाने के कारण तत्कालीन वित्त मंत्री टीटी कृष्णमाचारी को इस्तीफा देना पड़ गया था।