“बीजेपी-शिवसेना ने हमारे खिलाफ चुनाव लड़ा था, तो फिर कॉन्ग्रेस, एनसीपी और शिवसेना का गठबंधन कैसे हो सकता है। शिवसेना और भाजपा अलग हैं। हम और कॉन्ग्रेस अलग हैं, उनको उनका रास्ता तय करना है।”
शिवसेना हिन्दुत्व के एजेंडे से पीछे हटने को तैयार है फिर भी सोनिया दुविधा में हैं। शिवसेना को समर्थन पर कॉन्ग्रेस के भीतर भी मतभेद है। ऐसे में एनसीपी सुप्रीमो के साथ उनकी आज की बैठक निर्णायक साबित हो सकती है।
बाल ठाकरे की पुण्यतिथि पर सरकार बनाने का उद्धव का सपना नहीं हुआ पूरा। सोनिया गॉंधी के रुख ने बढ़ाई परेशानी। पुणे में पार्टी नेताओं से चर्चा कर आगे की रणनीति बनाएँगे शरद पवार।
"शरदराव पवार समझ जाते हैं कि हवा का रुख किस तरफ है। शरदराव एक चतुर राजनेता हैं, जिन्होंने बदली परिस्थितियों को भाँप लिया है। वह कभी भी ऐसी किसी चीज में शामिल नहीं होते, जो उन्हें या उनके परिवार को नुकसान पहुँचाए।"
हरविंदर ने दिल्ली के संसद मार्ग स्थित एनडीएमसी सेंटर में एक कार्यक्रम से लौट रहे पवार को 2011 में थप्पड़ जड़ दिया था। इस घटना से कुछ ही दिन पहले उसने पूर्व मंत्री सुखराम पर भी हमला बोला था।
कॉन्ग्रेस के सभी विधायक जयपुर में एक रिसॉर्ट में रुके हुए हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेतागण वहीं पर नव-निर्वाचित विधायकों के साथ लगातार मंत्रणा कर रहे हैं। अभी उद्धव ठाकरे कॉन्ग्रेस की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं, जिसके बाद वो आगे की रणनीति तैयार करेंगे।
एनसीपी ने कहा है कि यदि शिवसेना को हमारा समर्थन चाहिए तो उसे बीजेपी के साथ सारे रिश्ते तोड़ने होंगे। उसे एनडीए से बाहर आना होगा। मोदी कैबिनेट में शामिल उसके नेताओं को इस्तीफा देना होगा।
पवार ने सरकार बनाने के लिए शिवसेना के साथ कॉन्ग्रेस-एनसीपी की अटकलों पर विराम लगा दिया है। उन्होंने कहा है कि राष्ट्रपति शासन से बचने का एकमात्र विकल्प यह है कि भाजपा-शिवसेना मिलकर सरकार बनाएँ।
BJP के दो महासचिव शिवसेना से आखिरी दौर की बातचीत कर चुके। कोई परिणाम नहीं निकला। भाजपा सीएम पद को लेकर किसी भी प्रकार का समझौता करने को तैयार नहीं है। इसी बीच पर्यटन मंत्री जयकुमार रावल ने राज्य में दोबारा चुनाव...
"मैं उनकी भावनाएँ समझ सकता हूँ। कोर्ट का जो भी फैसला होगा, उसे अब वे स्वीकार करेंगे। चाहे फैसला जो भी हो समाज में शांति सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाने की जरूरत है।’’