Sunday, November 17, 2024

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साहित्य

रामभद्राचार्य और गुलजार को ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’: 100+ पुस्तकें लिख चुके हैं ‘तुलसी पीठ’ के संस्थापक, 68 साल से लिख रहे हैं संपूर्ण सिंह कालरा

12वीं में फेल हो चुके गुलजार की साहित्य में गहरी रुचि थी। वहीं रामभद्राचार्य की आँखों की रोशनी उनके जन्म के 2 महीने बाद ही चली गई थी।

31 साल की सजा भुगत रही ईरान की नरगिस मोहम्मदी को नोबेल शांति पुरस्कार: जिस लेखक ने एक वाक्य में लिख डाला उपन्यास, उसे...

नॉर्वे के जॉन फॉसे को लेकर कहा जाता है कि वो जिंदगी लिखते हैं। औरतों के हक की वकालत में ईरान में 2010 से लगातार नरगिस मोहम्मदी जेल जाती रहीं।

बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय: प्रेसीडेंसी कालेज से BA करने वाले वह पहले भारतीय, अंग्रेजी नौकरी और उसी के विरोध में ‘वंदे मातरम्’

सरकारी नौकरी में होने के कारण बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय किसी सार्वजनिक आन्दोलन में प्रत्यक्षतः भाग नहीं ले सकते थे, पर उनका मन...

अमेज़न पर आउट ऑफ स्टॉक हुई राहुल रौशन की किताब- ‘संघी हू नेवर वेंट टू अ शाखा’

राहुल रौशन ने हिंदुत्व को एक विचारधारा के रूप में क्यों विश्लेषित किया है? यह विश्लेषण करते हुए 'संघी' बनने की अपनी पेचीदा यात्रा को उन्होंने साझा किया है- अपनी किताब 'संघी हू नेवर वेंट टू अ शाखा' में…"

मंच पर माँ सरस्वती की तस्वीर से भड़का मराठी कवि, हटाई नहीं तो ठुकराया अवॉर्ड

मराठी कवि यशवंत मनोहर का कहना था कि उन्होंने सम्मान समारोह के मंच पर रखी गई सरस्वती की तस्वीर पर आपत्ति जताई थी। फिर भी तस्वीर नहीं हटाई गई थी इसलिए उन्होंने पुरस्कार लेने से मना कर दिया।

‘गालीबाज’ देवदत्त पटनायक और विलियम डेलरिम्पल को ‘टोरंटो लिटरेचर फेस्टिवल’ में मंच देने पर भारतीय दूतावास पर फूटा लोगों का गुस्सा

कनाडा में भारतीय वाणिज्य दूतावास द्वारा 27-29 नवंबर को होने वाले तीन दिवसीय जेएलएफ टोरंटो लिटरेचर फेस्टिवल के लिए देवदत्त पटनायक और विलियम डेलरिम्पल जैसे विवादास्पद ‘इतिहासकारों’ को आमंत्रित करने के लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।

मिर्जापुर 2 में जिस लेखक सुरेंद्र मोहन के उपन्यास ‘धब्बा’ को दिखाया, उन्होंने कहा – ‘चेंज करो इसे’

उपन्यास में बलदेव राज नाम का कोई किरदार भी नहीं है, जैसा दिखाया गया है। इसके विपरीत दृश्य में जो पढ़ा या दिखाया गया है, वह घोर अश्लीलता है।

मैं मुन्ना हूँ: कहानी उस बच्चे की जो कभी अंधेरी कोठरी में दाखिल होकर अपनी आँखें मूँद उजाले की कल्पना में लीन हो गया...

उपन्यास के नायक मुन्ना की कहानी आरंभ होती है उसके श्रापित बचपन से जहाँ वह शारीरिक, मानसिक झंझावतों से जूझता किशोरवय के अल्हड़पन को पार कर प्रेम की अनकही गुत्थियों को सुलझाता जीवन यात्रा में आगे बढ़ता रहा।

हिन्दी केवल उत्तर भारत की नहीं: हिन्दी दिवस को हिन्दी बोलने वालों तक नहीं करें सीमित, न ही किया जाना चाहिए

हिन्दी का दायरा और महत्व केवल एक दिन तक सीमित नहीं किया जा सकता है और न ही किया जाना चाहिए। और हाँ, हिन्दी केवल उत्तर भारत की भाषा नहीं है।

बाबा नागार्जुन पर बाल यौन शोषण और हिंदी वालों की स्थिति… न उगलते बने, न निगलते

गुनगुन थानवी नामक किसी स्त्री ने जाने-माने जनवादी कवि बाबा नागार्जुन पर बाल यौन शोषण का अभियोग मढ़ दिया है। इस पूरे मामले में हिन्दी की राजनीति करने और उसे बेच-बेच खाने वालों की “कही त मैय मारल जै…” वाली दशा हो गई है।

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