Wednesday, May 7, 2025
Homeविविध विषयकला-साहित्यअमेज़न पर आउट ऑफ स्टॉक हुई राहुल रौशन की किताब- 'संघी हू नेवर वेंट...

अमेज़न पर आउट ऑफ स्टॉक हुई राहुल रौशन की किताब- ‘संघी हू नेवर वेंट टू अ शाखा’

यह पुस्तक राहुल रौशन के व्यक्तिगत जीवन यात्रा के उबड़-खाबड़ पड़ावों से गुजरते हुए भारत के समकालीन राजनीतिक इतिहास का एक दस्तावेज है। एक ऐसे 'संघी' की यात्रा जिन्होंने एक पत्रकार के रूप में शुरुआत की, लम्बा अनुभव अर्जित किया, एक सफल उद्यमी रहे, और अब एक उतने ही लोकप्रिय समाजशास्त्रीय टीकाकार-टिप्पणीकार हैं।

व्यंग्य समाचार वेबसाइट- ‘द फेकिंग न्यूज़’ के संस्थापक और ऑपइंडिया के सीईओ, राहुल रौशन की पहली किताब- ‘संघी हू नेवर वेंट टू अ शाखा’ (Sanghi Who Never Went To A Shakha) जो उनकी अपनी यात्रा है उस व्यक्ति से जो ‘संघी’ शब्द से ही नफ़रत करता था से लेकर गर्व से इस शब्द को एक ओहदे के रूप में अंगीकार कर लेने तक। फिलहाल अमेज़न पर उनकी किताब रिलीज़ से पहले ही आउट ऑफ़ स्टॉक चल रही है।

हालाँकि, पुस्तक का पेपरबैक संस्करण भले वर्तमान में अमेज़न पर उपलब्ध नहीं है, फिर भी कोई भी पुस्तक के किंडल संस्करण को प्री-ऑर्डर कर सकता है, जिसे 10 मार्च तक मिल जाने की उम्मीद है। इसके अलावा, किताब का पेपरबैक संस्करण अभी भी गरुड़ बुक्स पर उपलब्ध है।

इस किताब का प्रकाशन रूपा पब्लिकेशन्स द्वारा किया गया है। आज ही रूपा पब्लिकेशन ने ट्विटर पर पुस्तक के लॉन्च की घोषणा करते हुए कुछ नए अंदाज में ट्वीट भी किया।

“फेकिंग न्यूज के प्रसिद्ध ‘पागल पत्रकार’ ​राहुल रौशन ने हिंदुत्व को एक विचारधारा के रूप में क्यों विश्लेषित किया है? यह विश्लेषण करते हुए ‘संघी’ बनने की अपनी पेचीदा यात्रा को उन्होंने साझा किया है- अपनी किताब ‘संघी हू नेवर वेंट टू अ शाखा’ में…”

आज ही कुछ घंटे पहले, स्वयं लेखक राहुल रौशन ने भी ट्विटर पर अपने शुभचिंतकों-फॉलोवर्स को यह बताने के लिए ट्वीट भी किया कि पुस्तक पहले से ही आउट हो चुकी है और कई लोगों ने तो अपनी प्रतियाँ प्राप्त भी कर ली हैं क्योंकि विक्रेता लॉन्च की तारीख से पहले ही इसे डिलीवर करने का निर्णय ले लिया है। हालाँकि, किताब की आधिकारिक लॉन्च की तिथि 10 मार्च है।

‘संघी हू नेवर वेंट टू अ शाखा’: किताब के बारें में कुछ खास बातें

‘संघी हू नेवर वेंट टू अ शाखा’ एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो एक ‘कॉन्ग्रेसी हिंदू’ परिवार में पैदा हुआ था, लेकिन कालांतर में मोदी समर्थक ‘संघी’ बन गया – वह भी आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के एक भी शाखा (नियमित सभा) में शामिल हुए बिना। यहाँ तक कि संघ का स्वयंसेवक या अपने पहले के वर्षों से नरेंद्र मोदी के प्रशंसक होने के बिना भी।

यह केवल एक व्यक्ति की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक पीढ़ी की कहानी है जिसने विश्वास की छलाँग लगाई है। यह कहानी लेखक के ‘लिबरल’ से ‘संघी’ होने के संक्रमण काल के बारे में नहीं है, वो भी बिना कभी संघ की शाखा में गए बिना बल्कि यह उन घटनाओं को कोलाज है जिन्होंने इस संक्रमण को आकार देने और इसे प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

यह पुस्तक राहुल रौशन के व्यक्तिगत जीवन यात्रा के उबड़-खाबड़ पड़ावों से गुजरते हुए भारत के समकालीन राजनीतिक इतिहास का एक दस्तावेज है। एक ऐसे ‘संघी’ की यात्रा जिन्होंने एक पत्रकार के रूप में शुरुआत की, लम्बा अनुभव अर्जित किया, एक सफल उद्यमी रहे, और अब एक उतने ही लोकप्रिय समाजशास्त्रीय टीकाकार-टिप्पणीकार हैं।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

दुश्मन देश की तरह मत करो- पंजाब की AAP सरकार को हाई कोर्ट ने ‘वाटर पॉलिटिक्स’ पर फटकारा: कहा- भाखड़ा नांगल बाँध के काम...

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने भगवंत मान सरकार को आदेश दिया है कि वह भाखड़ा नांगल बाँध पर से पुलिस हटाए और पानी का बहाव हरियाणा की तरफ ना रोके।

भाई, बीवी, बहन, बहनोई, भांजा, भतीजा… आतंकी सरगना मसूद अजहर के खानदान का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने निकाल दिया जनाजा, 14 लाशें देख बोला- अच्छा...

मसूद अजहर की भूमिका 2001 के संसद हमले, से लेकर 2016 के पठानकोट हमले और 2019 के पुलवामा हमले तक का मास्टरमाइंड रहा है। पहलगाम हमले में भी हाथ।
- विज्ञापन -