संगठन ने दावा किया कि मार्च 2020 में काबुल में गुरुद्वारा श्री गुरु हर राय साहिब पर आत्मघाती हमले के बाद जो हिंदू और सिख भारत चले गए हैं, उनके पास पुनर्वास का कोई विकल्प नहीं है।
रमणीक सिंह मान ने याद दिलाया कि कैसे 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और उन्हें घाटी से भगाए जाने के बाद 2000 में चित्तसिंहपुरा में 35 सिखों को मार डाला गया था।
इस मामले को सरना ने पहले शर्मनाक बताते हुए कहा था कि इसके ख़िलाफ़ सारी कौम को एकजुट होकर आवाज उठानी चाहिए। हालाँकि आज उन्होंने अपने सिरसा के बयान पर माफी माँगी।