Friday, October 4, 2024
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‘मुझे मेरे 9 साल के बेटे से मिला दो… मेरी मुस्लिम पत्नी उसका खतना करवा देगी’ – सिख युवक की गुहार

"तुम कलमा क्यों नहीं पढ़ते, नमाज क्यों नहीं पढ़ते? कड़ा उतारो और बाल कटवा लो।" - तरलोचन सिंह संधु ने खुद पर होती ज्यादतियों को खून का घूट पीकर सहा। 2 बार पगड़ी भी फाड़ दी... फिर भी सह लिया। बात जब 9 साल के बेटे के खतने और इस्लाम कबूल करवाने पर आई तो एक बाप से सहा नहीं गया।

“मैं अपने बेटे से बहुत प्यार करता हूँ। मुझे मेरे बेटे से मिला दो। वह बहुत छोटा है। वह सिर्फ 9 साल का है। वह बहुत डरा हुआ है। वह बहुत तकलीफ में है। वह उसे इस्लाम में परिवर्तित करवाना चाहते हैं। उसका खतना करवाना चाहते हैं। मेरे बेटे को बचा लीजिए, मुझे और कुछ नहीं चाहिए।”

ये शब्द हैं 36 वर्षीय पीड़ित सिख व्यक्ति के। नाम है- तरलोचन सिंह संधु (Tarlochan Singh Sandhu)। अपने बेटे को वापस पाने की गुहार लगाते हुए फफक-फफक कर रो पड़ते हैं तरलोचन सिंह। 

कहा था-धर्म कभी भी आड़े नहीं आएगा

मूल रूप से अमृतसर के रहने वाले एक सिख युवक ने 17 नवंबर 2008 को मुस्लिम युवती नगीना से शादी की थी। नगीना से वह 2007 में मिले थे। दोनों एक साथ एक ही कंपनी में पंचकुला में नौकरी करते थे। यहीं पर दोनों की मुलाकात हुई और जान-पहचान बढ़ी। फिर उन्होंने अमृतसर के गुरुद्वारा साहिब में लव मैरिज कर ली। इसके बाद उन्होंने कोर्ट मैरेज भी किया। तरलोचन सिंह बताते हैं कि नगीना ने ही जल्दी शादी करने का दबाव बनाया। नगीना ने उन्हें काफी इमोशनल ब्लैकमेल किया था, जिससे वो उसकी बातों में आ गए थे। इस दौरान दोनों के बीच इस बात को लेकर एक राय बनी थी कि उनकी जिंदगी में उन दोनों का धर्म कभी भी आड़े नहीं आएगा।

शुरुआत में तो नगीना के परिजनों ने थोड़ा-बहुत धर्म परिवर्तन के लिए बोलना शुरू किया तो वो तंग आकर दिल्ली में जाकर जॉब करने लगे। इसके बाद वह अमृतसर में नौकरी करने लगे। लेकिन पिछले 6 साल से उनके ससुराल वाले काफी परेशान कर रहे हैं। यही नहीं, पिछले डेढ़ साल से तो नगीना भी अपने अम्मी-अब्बू की साइड लेकर धर्म परिवर्तन के लिए बोलने लगी है। युवक का कहना है कि उसकी शादी को 13 साल हो गए हैं, लेकिन कभी भी पत्नी पर सिख धर्म अपनाने के लिए दबाव नहीं बनाया।

पत्नी के वादे पर चंडीगढ़ आया था

तरलोचन सिंह ने ऑपइंडिया से बात करते हुए बताया कि वह चंडीगढ़ में पिछले 6 साल से किराए के मकान में रहते हैं। वह पहले अमृतसर में जॉब करते थे। नगीना वहाँ से चंडीगढ़ आने के लिए लगातार बोलने लगी। मगर तरलोचन ने यह कह कर मना कर दिया कि वहाँ पर उसके परिजन फिर से धर्म परिवर्तन के लिए बोलेंगे। इस पर नगीना ने उन्हें वादा किया कि वह और उसके मायके वाले ऐसा नहीं करेंगे। तरलोचन का कहना है कि बीबी के वादे पर वह यहाँ आ गए, लेकिन यहाँ आने के बाद फिर से वही सब शुरू हो गया और इसमें नगीना की भी मौन सहमति थी और पिछले डेढ़ साल से तो वह भी खुल कर बोलने लगी है।

पगड़ी फाड़ा, कलमा-नमाज पढ़ने के लिए कहा

अब तरलोचन के ससुराल वाले अपना घर छोड़ कर उनके किराए के घर में आकर रहने लगे हैं, ताकि वह उन पर धर्म परिवर्तन के लिए दबाव बना सकें और उनकी गतिविधियों पर नजर रख सकें, उन्हें उनका धर्म पालन करने से रोक सकें। यह सब कुछ इतना ज्यादा बढ़ गया कि तरलोचन को अपना घर छोड़ना पड़ गया। वो उन्हें पाठ नहीं करने देते, कड़ा उतारने और बाल कटवाने के लिए कहते। तरलोचन जब भी पाठ करने बैठते तो उनसे कहा जाता कि तुम ‘कलमा’ क्यों नहीं पढ़ते, ‘नमाज’ क्यों नहीं पढ़ते। इससे तुम्हारा सारा काम हो जाएगा। दो बार तो उन्होंने उनकी पगड़ी भी फाड़ दी।

30 मई की रात को इनका अत्याचार कुछ ज्यादा ही बढ़ गया और ससुराल पक्ष के लोगों ने और भी लोगों को इकट्ठा करके इनकी पिटाई कर दी। जिसके बाद इन्होंने 112 नंबर पर कॉल करके बताया कि इनकी जान को खतरा है। पुलिस आई और दोनों पक्षों को थाने ले गई। जब पुलिस उन लोगों को पकड़ी थी, तब भी उनका साला नवाबुद्दीन माँ-बहन की गाली दे रहा था और जान से मारने की धमकी दे रहा था। जब पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया तो उन लोगों ने रास्ते में फिर से लाठी-डंडे, रॉड से पिटाई कर दी। 

एक फोन पर 150 बंदे इकट्ठे होने की मिल रही धमकी

उन्होंने किसी तरह से भाग कर अपनी जान बचाई। इसके बाद जब उन्होंने पुलिस को दोबारा काल किया तो पुलिस ने फिर पिटाई की और कहा कि उन्हें रात को बार-बार क्यों परेशान कर रहा है। जब उन्होंने पुलिस से बचाने की गुहार लगाई तो जवाब मिला कि घर चले जाओ या पार्क में सो जाओ। इसके बाद उन्होंने दो दिन (30 और 31 मई) शिवालिक पार्क में रात बिताई। इसके बाद 1 जून को अपना रूम ले लिया। यहाँ पर भी वो धमकी देते रहते हैं कि एक फोन करेंगे तो 150 बंदा इकट्ठा हो जाएगा, क्योंकि उनको पता है कि वो अमृतसर के रहने वाले हैं। यहाँ पर उनका कोई जान-पहचान का नहीं है। जहाँ पर ये पहले रह रहे थे, वहाँ पर 75 फीसदी मुस्लिम हैं।

2 जून को उन्होंने SSP ऑफिस में शिकायत दर्ज करवाई। 5 जून को SSP ऑफिस से शिकायत रिसीव करने के बाद भी मनीमाजरा थाने वालों ने उन्हें कॉल नहीं किया और कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद उन्होंने 1 जुलाई को फिर से शिकायत दर्ज करवाई। फिर भी उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने उनके साले को बुलाया, उससे लिखित में कुछ देने के लिए कहा और घर भेज दिया। इसी तरह तरलोचन सिंह को भी बुलाया और काफी देर तक बैठाने के बाद घर भेज दिया। अंततः 9 जुलाई को फिर से शिकायत दर्ज करवाई।

‘मेरा नाम बदलकर ताहिर रखना चाहते हैं’

तरलोचन सिंह ने एक वाकया शेयर करते हुए बताया,

“2019 में मैं जॉब करने के लिए दुबई गया था। इसी बीच ईद आई और उन लोगों ने मेरे बेटे को मुस्लिम रीति-रिवाज में पहनने वाली टोपी पहनाकर फोटो खींचकर मुझे भेज दी। मैंने पूछा तो बोले-ईद थी इसलिए टोपी पहनाई। इसके बाद मैंने पूछा कि क्या मैंने अपने बेटे को कभी पगड़ी पहनाई? इसके बाद मैं बहुत डर गया और 5 महीने में ही वहाँ से लौट आया। वहाँ पर मैं 2-3 साल के लिए जॉब करने के लिए गया था लेकिन डर से मैं 4-5 महीने में ही लौट आया।”

दुबई जाने का खर्च तरलोचन के माता-पिता ने ही दिया था। वह आगे बताते हैं कि अब ये लोग उनके बेटे का खतना करवाना चाहते हैं और नाम भी बदलवाना चाहते हैं। ये लोग उनका नाम भी ताहिर रखना चाहते थे।

तरलोचन सिंह ने बताया कि वो लोग उनके 9 साल के बेटे हनी सिंह का नाम बदल कर हनीफ रखना चाहते थे। वहीं नगीना की चाची सायरा हमेशा उन्हें रेप के केस में फँसाने की धमकी दिया करती थी। वह हमेशा कहती थी, “मैं अपने कपड़े फाड़ कर पुलिस स्टेशन चली जाऊँगी और बोल दूँगी कि तूने मेरे साथ छेड़छाड़ किया तो तुझे कोई नहीं बचा पाएगा। जिंदगी भर जेल में सड़ेगा। इसलिए भलाई इसी में है कि तुझसे जैसा कहा जा रहा है वैसा कर और अपनी हद में रह।”

उन्होंने बताया कि ससुरालियों ने उनके बेटे का 4-5 कड़ा उतार कर फेंक चुके हैं और पूछने पर एक ही जवाब मिलता कि गुम हो गया होगा। जब वो अपने बेटे से इस बारे में पूछते थे तो वह बताता था कि नानू उतार देते हैं, पहनने नहीं देते। जब वो अंतिम बार अपने बेटे से मिले थे तो उसने कहा था- “पापा मुझे ये लोग अच्छे नहीं लगते। मुझे यहाँ से अमृतसर ले चलो। मुझे यहाँ पर अच्छा नहीं लगता। मुझे दादू के पास जाना है।”

सिंह ने बताया कि ना तो वो लोग उन्हें उनके बेटे से मिलने देते हैं और न ही फोन पर बात करवाते हैं और जब उन्होंने यह बात SHO को बताया तो उन्होंने कहा कि 100 नंबर पर कॉल करने पर वह मिलवा देंगे। उन्होंने रविवार (जुलाई 11, 2021) को ऐसा ही किया, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें उनके बेटे से 1 मिनट के लिए मिलवाया। उस समय भी उसका मामा उसका हाथ पकड़े हुए था और वह काफी डरा-सहमा हुआ था, कुछ भी बोल नहीं रहा था।

बीबी ने फर्जी शिकायत दर्ज करवाई

उन्होंने बताया कि इन लोगों के व्यवहार से परेशान होकर वह मार्च 2019 में अपने बेटे को लेकर अमृतसर चले गए थे। मगर उन्हें वहाँ से 1 महीने में ही वापस आना पड़ा क्योंकि इनकी बीबी नगीना ने महिला सेल (Women Cell) में फर्जी शिकायत दर्ज करवा दी कि वह मारपीट करते हैं। जिसके बाद उन्हें महिला सेल वालों का हर दिन कॉल जाने लगा कि वह बेटे को लेकर ऐसे कैसे जा सकते हैं, आपको जेल में डाल देंगे। इससे डर कर वह वापस आ गए। वापस आने के बाद वह बोलने लगी कि इसका नाम बदलना है और उसका कड़ा भी लेकर फेंक दिया था।

वहाँ से आने के कुछ दिन बाद यानी आज से लगभग डेढ़ साल पहले उनकी साली (नगीना की चाची की बेटी) की एक हिंदू युवक से शादी हुई थी। इसके बाद उस हिंदू युवक ने अपना नाम बदल कर इस्लामिक शादी (निकाह) भी किया। हिंदू युवक का नाम अमन कौशल था, जिसे बदल कर सलीम कर दिया गया। इसके बाद से तरलोचन सिंह को धर्म परिवर्तन के लिए और भी मजबूर किया जाने लगा कि जब वो बदल सकता है तो तुम क्यों नहीं।

‘मेरे मम्मी-पापा ने उसकी जिंदगी बचाई’

उन्होंने शुरुआती दिनों की घटना शेयर करते हुए बताया कि उनके यहाँ रिवाज है कि पहला बच्चा नानसे (ननिहाल) में ही होता है। इसलिए नगीना चंडीगढ़ गई थी। तरलोचन सिंह अमृतसर में थे, उन्होंने एक दिन पहले ही फोन कर देने के लिए कहा था, वो आ जाएँगे, लेकिन जब बच्चे का जन्म हुआ तो उन लोगों ने चार दिन तक फोन ऑफ कर लिया। उन्होंने तरलोचन को तब बताया, जब नगीना की तबियत काफी खराब हो गई। डॉक्टर ने जवाब दे दिया था। उन्होंने कह दिया था कि अब ये बचने वाली नहीं है। उस समय तरलोचन के माता-पिता ने सारी जिम्मेदारी ली और सारा खर्च भी उन्होंने ही किया। उन्होंने वहाँ के अस्पताल में इलाज करवाया। 

इसमें तकरीबन 30-40 हजार का खर्च आया। इससे जब उसकी सेहत में सुधार नहीं आया तो तरलोचन अमृतसर से एंबुलेंस लेकर आए और फिर अमृतसर के सिंघानिया अस्पताल में इलाज करवाया। इस दौरान नगीना के परिवार से कोई भी उसके साथ नहीं आया। नगीना के अब्बा ने तो यहाँ तक कह दिया था कि अगर यह नहीं बचे तो एंबुलेंस में इसकी लाश भेजवा देना, हम लोग वहाँ नहीं आएँगे।

वो कहते हैं, “मेरे मम्मी-पापा मुझसे नाराज हैं, क्योंकि मैंने इससे (नगीना) से शादी की। मेरी पत्नी उनकी बिल्कुल भी इज्जत नहीं करती। इसके बावजूद मेरे मम्मी-पापा ने इसकी जान बचाई। मगर इसके आँख में इस बात का कोई पानी नहीं है। इसने तो शुक्रिया अदा भी नहीं किया उनका। उल्टे उन्हें गालियाँ देती हैं और मुझे भी उकसाती है कि मैं हाथ उठाऊँ। मेरे मम्मी-पापा ने ऐसी क्या गलती कर दी कि वो इतनी गंदी-गंदी गालियाँ देती है। वो लोग तो यहाँ आते भी नहीं हैं। एक बार बस आए थे… वो भी मेरे बेटे को देखने। उसी दिन वो वापस अमृतसर भी चले गए।”

बीबी समेत 11 ससुरालियों के खिलाफ नामजद शिकायत दर्ज

तरलोचन सिंह ने चंडीगढ़ सेक्टर 9 में SSP के समक्ष शिकायत दर्ज करवाई है। इसमें उन्होंने 11 लोगों को नामित किया है। उन्होंने अपनी बीबी नगीना, ससुर महताबुद्दीन, सास रहीसा, साले नवाबुद्दीन और कमालुद्दीन के अलावा नगीना के चाचा राजू, चाची सायरा, चचेरे भाई राजा, समर के अलावा अमन (धर्मांतरण के बाद अब सलीम) और मुस्कान के खिलाफ शिकायत दायर करवाई है और साथ ही केस भी दर्ज करवाया है, जिस पर 20 जुलाई को सुनवाई होनी है।

तरलोचन सिंह अपने छोटे से बच्चे को लेकर काफी चिंतिंत हैं। वो किसी भी हालत में उसे वहाँ से निकालना चाहते हैं। उन्हें डर है कि वो उनका भी धर्मांतरण करवा देंगे। जब से वो अपने बेटे से मिल कर आए हैं, उसकी हालत देख कर उनके मुँह के अंदर ठीक से खाना भी नहीं जा रहा। वो बताते हैं कि मनीमाजरा के बीजेपी युवा मोर्चा के प्रमुख ने उनका काफी सपोर्ट किया है। उनकी बस एक ही गुहार है कि उनका बेटा उनके पास आ जाए।  

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