"अरविंद केजरीवाल जी, आपके प्रवक्ताओं ने आपकी इच्छा के अनुसार पूरे अहंकार के साथ मुझसे कहा था कि पार्टी ट्विटर पर भी मेरा इस्तीफा स्वीकार कर लेगी। इसलिए कृपया "आम आदमी पार्टी", जो अब "ख़ास आदमी पार्टी" बन चुकी है, की प्राथमिक सदस्यता से मेरा इस्तीफा स्वीकार करें।"
लांबा ने बीते दिनों ट्वीट कर कहा था, "आम आदमी पार्टी में सम्मान से समझौता करके रहने से बेहतर है कि मैं पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दूँ और अगला चुनाव चाँदनी चौक विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लडूँ।"
अलका लांबा ने कहा है कि उन्हें आम आदमी पार्टी से सारे संबंध तोड़ लेने चाहिए और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जल्द ही वो लिखित में आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे देंगी।
आम आदमी पार्टी की विधायक ने ट्वीट में दिल्ली पुलिस को भी टैग किया। अंदाजा लगाया जा रहा था कि कोई मनचला युवक लाम्बा को फोन कर के परेशान कर रहा है। लेकिन, एक यूजर ने जवाब देते हुए उस नंबर से जुड़ी हैरान करने वाली जानकारी दी।
अलका लांबा ने दावा किया है कि केजरीवाल उनसे बदला लेने के लिए उन्हें उनके निर्वाचन क्षेत्र में सीसीटीवी लगाने से रोक रहे हैं। लेकिन वे अपने लोगों की सुरक्षा के लिए सरकार से लड़ने से नहीं डरती हैं।
अलका लांबा ने कहा कि अगर दिल्ली में चुनाव जीतना है, तो अरविंद जी को दिल्ली पर फोकस करना चाहिए और संविधान के मुताबिक पार्टी के संयोजक का पद संजय सिंह जी को सौंप देना चाहिए, क्योंकि उनके पास संगठन का अनुभव भी है।
घमंड वाली बात से ही अरविन्द केजरीवाल 'ट्रिगर' हो गए और उनके हारे हुए प्रत्याशियों ने उनके इशारे पर अलका लाम्बा को ग्रुप से बाहर कर दिया। इसके बाद आज अलका लाम्बा ने कुछ और बेहद करुणामय और मार्मिक ट्वीट के माध्यम से अपनी बात सामने रखते हुए लिखा है कि बार-बार व्हाट्सएप्प ग्रुप में जोड़ने-निकालने से बेहतर होता इससे ऊपर उठकर कुछ सोचते, बुलाते, बात करते, गलतियों और कमियों पर चर्चा करते, सुधार कर के आगे बढ़ते।
ट्विटर पर चल रही 2 खलिहर विधायकों की इस चकल्लस पर ट्विटर यूजर्स ने दोनों विधायकों को सलाह देते हुए कहा कि दोनों भाई-बहन कॉल कर के लड़ लो और घर के मामलों को इस तरह से सड़क पर मत लाओ।