असम के बोडोलैंड टेरिटोरियल कॉउन्सिल के अध्यक्ष की पत्नी की कार पर हुआ हमला। अज्ञात हमलावरों की इस पत्थरबाजी में कार काफी क्षतिग्रस्त हो गई हालाँकि कार सवार किसी व्यक्ति को किसी प्रकार की चोटें आने का कोई समाचार नहीं है।
दिल्ली पुलिस ने चार आतंकियों को दिल्ली पर हमले की योजना बनाने और गोलपारा रास महोत्सव में विस्फोट करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि इन चारों ने धोखाधड़ी कर एनआरसी में अपना नाम जुड़वा लिया है।
“बिना सही पहचान के मूल मुस्लिम आबादी को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। NRC में बांग्लादेशी मूल के लाखों लोग शामिल हैं, इसलिए हम इस पर भरोसा नहीं कर सकते। अगर हमने अब कुछ नहीं किया तो एक दिन असम से सभी मूल जनजातियाँ सामाप्त हो जाएँगी।”
पीएम ने ऐतिहासिक बोडोलैंड समझौते का जिक्र करते हुए कहा कि अब असम में अनेक साथियों ने शांति और अहिंसा का मार्ग स्वीकार करने के साथ ही लोकतंत्र को स्वीकार किया है, भारत के संविधान को स्वीकार किया है। इससे 50 साल पुरानी समस्या का समाधान हुआ। बोडोलैंड क्षेत्र को 1500 करोड़ का पॅकेज भी मिलेगा।
चारों विद्रोही गुटों का नेतृत्व राजन दईमारी, गोविंदा बसुमतारी, धीरेन बोडो और बी सओरिगरा करते रहे हैं। इनके अलावा एक अन्य बोडो संगठन एबीएसयू के अध्यक्ष प्रमोद बोडो और बोडोलैंड टेरीटोरियल कॉउन्सिल के अध्यक्ष हाग्रामा मोहिलारी ने भी इस करार पर साइन किया।
वे जितने ज्यादा जोर से 'इंकलाब ज़िंदाबाद' बोलेंगे, वामपंथी मीडिया उतना ही ज्यादा द्रवित होगा। कोई रवीश कुमार टीवी स्टूडियो में बैठ कर कहेगा- "क्या तिरंगा हाथ में लेकर राष्ट्रगान गाने वाले और संविधान का पाठ करने वाले देश के टुकड़े-टुकड़े गैंग के सदस्य हो सकते हैं? नहीं न।"
शरजील इमाम वामपंथियों के प्रोपेगंडा पोर्टल 'द वायर' में कॉलम भी लिखता है। प्रोपेगंडा पोर्टल न्यूजलॉन्ड्री के शरजील उस्मानी ने इमाम का समर्थन किया है। जेएनयू छात्र संघ की काउंसलर आफरीन फातिमा ने भी इमाम का समर्थन करते हुए लिखा कि सरकार उससे डर गई है।
ये धमाके तब हुए हैं, जब शाहीन बाग़ विरोध-प्रदर्शन के मुख्य साज़िशकर्ता शरजील इमाम ने असम को शेष भारत से काट कर अलग करने की धमकी दी थी। भारत के 'टुकड़े-टुकड़े' करने की बात करते हुए शरजील ने कहा था कि 'चिकेन्स नेक' वाले क्षेत्र को ब्लॉक कर के पूरे उत्तर-पूर्व को शेष भारत से अलग-थलग कर देने का लक्ष्य होना चाहिए।
“हम नॉर्थ ईस्ट और हिंदुस्तान को परमानेंटली काट कर सकते हैं। परमानेंटली नहीं तो कम से कम एक-आध महीने के लिए असम को हिंदुस्तान से काट ही सकते हैं। मतलब इतना मवाद डालो पटरियों पर, रोड पर कि उनको हटाने में एक महीना लगे। जाना हो तो जाएँ एयरफोर्स से।”
“अब वक्त आ गया है कि हम गैर मुस्लिमों से बोलें कि अगर हमारे हमदर्द हो तो हमारी शर्तों पर आकर खड़े हो। अगर वो हमारी शर्तों पर खड़े नहीं होते तो वो हमारे हमदर्द नहीं हैं। असम को काटना हमारी जिम्मेदारी है। असम और इंडिया कटकर अलग हो जाए, तभी ये हमारी बात सुनेंगे।"