इतने बडे़ पैमाने पर उग्रवादियों का आत्मसमर्पण करना राज्य पुलिस के लिए बड़ी सफलता माना जा रहा है। इससे लंबे समय से उग्रवाद की मार झेल रहे राज्स में शांति की उम्मीद जगी है। हथियार डालने वाले उग्रवादियों को पुलिस में जगह दी जाएगी।
असम राइफल्स का पूछना है कि 2 बजे दोपहर में कई लोगों के सामने उसका कोई जवाब यौन शोषण अथवा छेड़खानी कैसे कर सकता है? सुरक्षा बल ने कहा कि इसके बावजूद महिला IPS अधिकारी की शिकायत की जाँच की जाएगी।
तरुण गोगोई का कहना है कि बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए वैकल्पिक राजनीतिक दल वक्त की जरूरत है। इस संबंध में आसू का प्रस्ताव सामने आने के बाद उन्होंने यह बात कही है।
“प्रधानमंत्री मोदी कॉन्ग्रेस पर आरोप लगाते हैं कि हम पाकिस्तान की भाषा में बात कर रहे हैं, लेकिन यही वो शख्स हैं जिन्होंने खुद को पड़ोसी देश के स्तर तक गिरा लिया है। वह मोहम्मद अली जिन्ना के दो-राष्ट्र सिद्धांत का पालन कर रहे है और भारत के हिंदू जिन्ना के रूप में उभरे हैं।”
रोजाना 300-400 लोग भारत से बांग्लादेश लौट रहे हैं। अधिकांश लोगों ने वहॉं की एजेसियों को बताया है कि वे काम के सिलसिले में अरसे से भारत में रह रहे थे। इनके पास से भारतीय पहचान पत्र भी बरामद हुए हैं।
आज भाजपा का विरोध कर रहा अखिल कभी कॉन्ग्रेस को वोट न देने की अपील करता था। असम और अरुणाचल प्रदेश में बाँध प्रोजेक्ट्स को बंद कराने के लिए अखिल गोगोई ने लोगों को जम कर भड़काया था। उसके कारण नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पॉवर कारपोरेशन (NHPC) के कई डैम प्रोजेक्ट्स में रुकावट आई थी।
हाल ही में ‘मेक इन इंडिया’ का माखौल उड़ाते हुए ‘रेप इन इंडिया’ कहने वाले कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने फिर से विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि असम को नागपुर नहीं चलाएगा। असम को RSS की चड्डी वाले नहीं चलाएँगे।
"डिटेंशन कैंप ज़रूरी हैं। जेलों में क़ैद विदेशियों की सज़ा पूरी होने के बाद, उन्हें कहाँ रखा जाएगा? जब तक उन्हें उनके देश में वापस नहीं भेजा जाता है, जहाँ से वे आए थे, तब तक आपको उन्हें एक डिटेंशन कैंप में ही रखना होगा।"
यह डिटेंशन सेंटर उन लोगों के लिए आवास के रूप में होगा जिन्होंने अवैध रूप से देश में प्रवेश किया और इनमें वे विदेशी भी शामिल हैं जिनके वीज़ा और पासपोर्ट की समय-सीमा समाप्त हो गई थी। विदेशी मूल के अंडर-ट्रायल क़ैदियों और जो लोग यहाँ जेल की अवधि पूरी कर चुके हैं और निर्वासन की प्रतीक्षा कर रहे हैं.....
NRC का जो विरोध है, वो दरअसल प्रदर्शन है संख्या बल का। वो दिखा रहे हैं कि “देखो, जहाँ-जहाँ हमारी संख्या थोड़ी भी अधिक है, वहाँ-वहाँ हम तोड़-फोड़ कर सकते हैं, आग लगा सकते हैं, पुलिसकर्मी को मार सकते हैं।” उनका संदेश स्पष्ट है कि वो अगर संख्या बल में अधिक हैं तो...