मौलाना अरशद मदनी ने बाबर को भी क्लीन चिट देते हुए कहा था कि बाबर ने जबरन मंदिर तोड़ कर मस्जिद नहीं बनाई। उन्होंने कहा कि मस्जिद तोड़ कर बनाए गए मंदिर में नमाज नहीं पढ़ी जा सकती है। उन्होंने इस बात को भी नकार दिया कि जिस मस्जिद में नमाज नहीं होती है, वो मस्जिद नहीं है।
राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बैंक ने उन खाता धारकों के लिए विशेष पुरस्कार की भी घोषणा की है जिन्होंने सवा लाख राम नाम जमा कर रखे हैं। इस बैंक की न तो कोई एटीएम है और न ही कोई चेक बुक।
रिजवी ने अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सर्वश्रेष्ठ निर्णय बताया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और ओवैसी को छोड़कर सभी इस निर्णय से सभी संतुष्ट हैं। ऐसे में इन दोनों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।
“ना मैं मुख्यमंत्री का उम्मीदवार हूँ और ना ही मेरी काबिलियत है। मैं राजनीति में विधायक या सांसद बनने नहीं आया था। 'जहाँ हुए बलिदान मुखर्जी वो कश्मीर हमारा है' और अयोध्या में राम मंदिर के सपने के साथ आया था। दोनों काम पूरा हो गया है।”
"एक महिला ज़िले हुमा के नेतृत्व में लगभग 110 मुस्लिम महिलाओं और लड़कियों ने ग़ैर-क़ानूनी रूप से इकट्ठा होकर ईदगाह मैदान में एकत्र होकर नमाज अता की। लगभग 20 मिनट की नमाज पूरी होने के बाद, हुमा ने माइक सँभाला और देश-विरोधी नारे लगाए।"
अपने अंतर्मन में हर हिन्दू यह बात जानता था कि श्री राम व राम का नाम हिन्दू धर्म की आत्मा है। राम गए तो हिन्दू धर्म नहीं बचेगा। वह आस्था, वह श्रद्धा जो हमारे रक्त और हमारी हड्डियों में समाई हुई है। राम का ‘तत्व’ ही वह शाश्वत धारा है जिसने हिन्दू समाज को विषम-से-विषम परिस्थिति में भी स्पंदित व जीवित रखा है, तथा सदैव रखेगी।
वसीम रिजवी ने कहा कि ओवैसी जैसे नेता समाज में नफरत फैलाने का काम करते हैं। ओवैसी जैसे नेताओं के ऐसे बयानों का मतलब सिर्फ नफरत को बढ़ावा देना और देश के मुस्लिमों को इस देश में अलग-थलग करने की साजिश है।
जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष और अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्षकार अरशद मदनी ने अयोध्या मसले पर फैसला आने से पहले कहा था कि सर्वोच्च अदालत जो भी फैसला देगी, वह उन्हें स्वीकार होगा। यह अलग बात है कि फैसला आने के पाँच दिनों के बाद ही उन्हें...
विहिप के प्रवक्ता शरद शर्मा ने बताया कि फैसले के बाद अचानक से कार्यशाला पहुॅंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ गई है। अमूमन 1000 लोग रोजाना कार्यशाला आते थे। अब यह संख्या बढ़कर 5000 हो गई है।
आने वाले दिनों में विषवमन ज्यादा होगा, रवीश जी ज्यादा लिखेंगे, ज्यादा बोलेंगे और अंतरात्मा को बार-बार बुलाएँगे। फिर भी आप इन धूर्तों को टीवी पर देखा कीजिए, इनके लेख पढ़ा कीजिए ताकि आपको पता चलता रहे कि नैरेटिव बनता कैसे है।