Friday, March 29, 2024
Homeदेश-समाज'धन हो या 5 एकड़ जमीन... मस्जिद के 'विकल्प' के रूप में स्वीकार्य नहीं,...

‘धन हो या 5 एकड़ जमीन… मस्जिद के ‘विकल्प’ के रूप में स्वीकार्य नहीं, SC का फैसला समझ से परे’

“फैसले में एक तरफ कहा जा रहा है कि मस्जिद, मंदिर तोड़कर नहीं बनाई गई। ये भी कहा गया कि मूर्ति रखने वाले अपराधी हैं और मस्जिद तोड़ने वाले भी अपराधी हैं। लेकिन जिन लोगों ने मस्जिद तोड़ी थी, उन्हीं के हक में फैसला सुना दिया गया।”

सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार (नवंबर 9, 2019) को अयोध्या भूमि विवाद का फैसला सुनाया। कोर्ट ने अयोध्या को भगवान राम का जन्मस्थान मानते हुए पूरी विवादित जमीन रामलला विराजमान को सौंपकर मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया। वहीं मुस्लिम पक्षकारों को मस्जिद बनाने के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन देने का निर्णय सुनाया गया।

जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष और अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्षकार अरशद मदनी ने अयोध्या मसले पर फैसला आने से पहले कहा था कि अयोध्या में जमीन के मालिकाना हक को लेकर सर्वोच्च अदालत जो भी फैसला देगी, वह उन्हें स्वीकार होगा। यह अलग बात है कि फैसला आने के पाँच दिन बाद उन्हें ‘खलिश’ सी हुई है।

अरशद मदनी ने गुरुवार (नवंबर 14, 2019) को अपनी वर्किंग कमिटी के साथ मीटिंग के बाद मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन नहीं लेने का फैसला किया। जमीयत उलमा-ए-हिंद ने कहा कि दुनिया का कोई भी चीज मस्जिद के “विकल्प” के रूप में स्वीकार्य नहीं होगा, चाहे वह धन हो या फिर जमीन। मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि जमीयत ने कहा था कि अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान किया जाएगा। मगर कोर्ट का यह फैसला “समझ से परे” है। मदनी का कहना है कि जिन लोगों ने मस्जिद तोड़ी थी, उन्हीं के हक में फैसला सुना दिया गया।

मदनी ने कहा, “फैसले में एक तरफ कहा जा रहा है कि मस्जिद, मंदिर तोड़कर नहीं बनाई गई। ये भी कहा गया कि मूर्ति रखने वाले अपराधी हैं और मस्जिद तोड़ने वाले भी अपराधी हैं। लेकिन जिन लोगों ने मस्जिद तोड़ी थी, उन्हीं के हक में फैसला सुना दिया गया।”

वहीं जब फैसले पर पुनर्विचार याचिका के बारे में पूछा गया तो मौलाना रशीदी ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, “कुछ दिनों में अरशद मदनी की अध्यक्षता में पाँच सदस्यों की एक समिति की बैठक होगी। जिसमें अदालती दस्तावेजों के साथ ही जमीयत उलेमा ए हिंद के वकीलों और सुप्रीम कोर्ट के अन्य वकीलों से कानूनी राय ली जाएगी। इसके बाद ही अगला कदम उठाया जाएगा।” 

इस बीच एक अन्य मुस्लिम पक्षकार मोहम्मद उमर ने पहले ही घोषणा कर दी है कि अगर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) उन्हें इसकी मंजूरी देता है और केस लड़ने के लिए आवश्यक कानूनी सहायता प्रदान करता है, तो वह पुनर्विचार याचिका दायर करने के लिए तैयार है। ऑल इंडिया बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी (AIBMAC) के संयोजक और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी भी पहले ही कह चुके हैं कि वह अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ‘संतुष्ट नहीं हैं।’

वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए 51,000 रुपए के दान की घोषणा की है। रिजवी ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि शिया वक्फ बोर्ड अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के पक्ष में है। उनका कहना है कि इस मामले में जो संभव हो सकता था उसमें सुप्रीम कोर्ट ने बेहतरीन फैसला सुनाया है।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

अतीक की तरह ही फरार है मुख्तार अंसारी की भी बीवी, शौहर की मौत के बाद भी कोई अता-पता नहीं: अफ़्शाँ पर दर्ज हैं...

मुख़्तार अंसारी की बीवी का कोई अता-पता नहीं है। उस पर पुलिस ने 75,000 रुपए का इनाम भी रखा हुआ है। उस पर 13 मुकदमे दर्ज हैं, गैंगस्टर एक्ट का भी मामला चल रहा है।

‘प्यार से डिनर कराया, दोनों मेड फॉर कैमरा आदमी’: जब मुख्तार-अतीक ‘साहब’ के ‘तहजीब’ पर मर मिटे थे राजदीप सरदेसाई, तंदूरी चिकन का स्वाद...

दोनों गैंगस्टरों के बारे में पूछने पर जहाँ हर कोई इनके दहशत की कहानियाँ सुनाता है तो वहीं राजदीप सरदेसाई को इनके यहाँ का चिकेन याद आता है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
418,000SubscribersSubscribe