उस्मानी ने कहा कि बाबरी विध्वंस को वो लोग न तो भूल सकते हैं और न ही इसमें शामिल लोगों को माफ़ कर सकते हैं। आरोपित ने कहा कि उसने जब यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया, तब से ही ऐसी सभाओं का आयोजन करता रहा है।
"रिव्यू पिटिशन पर जो भी फ़ैसला होगा, वो चाहे हमारे हक़ में आए या न आए, हमको वो फ़ैसला भी क़बूल है। लेकिन, यह भी एक हक़ीक़त है कि क़यामत तक बाबरी मस्जिद जहाँ थी, वहीं रहेगी। चाहे वहाँ पर कुछ भी बन जाए। वो मस्जिद थी, मस्जिद है... मस्जिद ही रहेगी।"
राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध करने वालों में हैदराबाद के लोकसभा सांसद प्रमुख हैं। उन्होंने फैसले पर नाखुशी जाहिर करते हुए कहा था कि खैरात में पाँच एकड़ जमीन नहीं चाहिए।
75 साल पहले 1944 में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद का नाम दर्ज कराया था। ये वक्फ नंबर 26 पर बाबरी मस्जिद अयोध्या जिला फैजाबाद नाम से दर्ज है। इसे अब हमेशा के लिए हटाया जा सकता है।
न्याय तलाशते वामपंथी बहुत पीछे जाते हैं तो 1528 में पहुँचते हैं जहाँ रहमदिल, आलमपनाह बाबर, जिसके माता और पिता पक्ष पर करोड़ों हत्याओं का रक्त है, कंधे पर पत्थर उठा कर एक जंगल-झाड़ में, छेनी-हथौड़ा से कूटते हुए मस्जिद बनाता दिखता है।
जिस प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुस्लिम पक्ष ने राम मंदिर फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर करने की बात कही, वहाँ सय्यद कासिम रसूल इल्यास मीडिया को संबोधित कर रहे थे। सय्यद कासिम कोई और नहीं, उमर खालिद के अब्बू हैं। यह कभी SIMI के मेंबर भी थे, जिसे बाद में आतंकी संगठन...
"एक महिला ज़िले हुमा के नेतृत्व में लगभग 110 मुस्लिम महिलाओं और लड़कियों ने ग़ैर-क़ानूनी रूप से इकट्ठा होकर ईदगाह मैदान में एकत्र होकर नमाज अता की। लगभग 20 मिनट की नमाज पूरी होने के बाद, हुमा ने माइक सँभाला और देश-विरोधी नारे लगाए।"
"अगर मस्जिद को (1992 में) ध्वस्त नहीं किया जाता, तब भी क्या यही फ़ैसला आता? हमारी लड़ाई ज़मीन के टुकड़े के लिए नहीं थी। यह सुनिश्चित करना था कि मेरे क़ानूनी अधिकारों का ध्यान रखा जाए। SC ने यह भी स्पष्ट कहा कि मस्जिद बनाने के लिए किसी मंदिर को नहीं गिराया गया। मुझे अपनी मस्जिद वापस चाहिए।"
लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट में माना गया है कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में ही हुआ था। इस रिपोर्ट में हिन्दू धर्म ग्रन्थ रामायण के आधार पर कमीशन ने राम और अयोध्या दोनों के अस्तित्व को स्वीकार किया है। ऐसे में इन वामपंथी इतिहासकारों से पूछा जाना चाहिए कि...
रामजन्मभूमि से करीब 4 किलोमीटर दूरी पर स्थित सहनवा को अयोध्या नगर निगम में शामिल करने के लिए 2017 में ही प्रस्ताव भेजा जा चुका है। अब सहनवा समेत 40 गाँवों को अयोध्या नगर निगम में शामिल होने की मंजूरी मिल सकती है।