पिछले दिनों महागठबंधन के मंच से भी कन्हैया कुमार को देशद्रोही कहा गया था, जिस पर वामपंथी धड़े में आक्रोश की लहर है। वहीं बेगूसराय की जनता भी उनके 'देश-विरोधी' विचारों की वजह से उनसे नाराज़ चल रही है, जिससे चुनाव प्रचार के दौरान झड़प और हाथापाई की खबरें आ जाती हैं।
लड़की ने अपनी माँ को बताया है कि वह उन बदमाशों को नहीं जानती है। ट्यूशन से लौटने के बाद वह अपने घर की छत पर टहल रही थी, जब उसने देखा कि गली में 4 लड़के सिगरेट पी रहे हैं। उन्हें देखकर वह नीचे आ गई। लड़की की गलती बस इतनी थी कि इस दौरान वह छत का दरवाजा बंद करना भूल गई।
इस गहमा-गहमी के बाद स्थानीय लोगों ने, "देशद्रोही मुर्दाबाद" के नारे लगाए। चुनाव नज़दीक है और माहौल गरम अब देखना यह है कि कन्हैया की दाल बेगूसराय में गलती कि नहीं या उन्हें आए-दिन अपने पिछले कर्मों के वजह से यूँ ही ज़लील होना पड़ेगा।
पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री शकील अहमद ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर पार्टी को सांसत में डाल दिया है। मधुबनी से 2 बार सांसद रहे शकील के बग़ावती तेवर से कॉन्ग्रेस को क्षेत्र में अच्छा-ख़ासा घाटा होने की उम्मीद है।
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की आशिकी लैला-मजनू जैसी है। जब इनकी दास्तां लिखी जाएगी तो मोहब्बत की जगह नफरत लिखी जाएगी। उसमें लिखा जाएगा कि जब से ये दोनों साथ आए हैं, हिंदुस्तान में हिंदू-मुस्लिम तनाव में हैं।
अगर बिहार में सच में गुंडे बचे होते, और उनमें थोड़ा भी ज़मीर होता तो तुम्हें सड़क पर पटक कर, तुम्हारी बाँह पर वही गोद देते, जो अमिताभ के हाथ पर किसी ने गोदा था, "मेरा बाप चोर है।"
चैती छठ में खासा धूम-धाम देखने को नहीं मिलता है। जबकि कार्तिक छठ में ज्यादा चहल-पहल होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि कम ही व्रती चैती छठ करते हैं। गरमी के कारण कार्तिक छठ से ज्यादा मुश्किल होता है चैती छठ करना।
हुआ यूँ कि बिहार की औरंगाबाद सीट से कॉन्ग्रेस सांसद निखिल कुमार ने टिकट की माँग की थी, लेकिन पार्टी ने महागठबंधन में शामिल हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के उपेंद्र प्रसाद को चुनावी मैदान में उतराने का फैसला लिया है।
इस मामले में पुलिस ने भी त्वरित कार्रवाई करते हुए वीडियो क्लिप के आधार पर आरोपियों की शिनाख्त शुरू कर दी है। पुलिस के अनुसार आरोपियों की पहचान होते ही उन पर एफआईआर की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
"राजद के स्वार्थी नेताओं के सफाए के लिए मैंने 'लालू-राबड़ी' मोर्चा बनाया है। तेजस्वी यादव समझदार हैं लेकिन उन लोगों की वजह से उनके आँखों पर पर्दा आ गया है। मेरी माँ राबड़ी देवी को भी सजग रहने की ज़रूरत है। मेरी बातें सभी लोगों को बाद में समझ आएँगी।"