भाजपा के राज्य इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से गृह मंत्री के पद से तत्काल इस्तीफा देने की माँग करते हुए कहा कि वह राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने में पूरी तरह नाकाम हो गई हैं।
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का संदेश देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने हर बूथ पर भाजपा को मज़बूत बनाने के अलावा भाजपा को सर्व-समावेशी बनाने पर भी जोर दिया है।
टीएमसी नेता जे तिवारी ने कहा, “वे हमला करने के इरादे से आए थे, लेकिन निगम के गेट को छू भी नहीं सके। बाबुल सुप्रियो, अगर तुम भाजपा के बंदर हो, तो हम आसनसोल में तुम्हारे लिए पिंजरा तैयार कर चुके हैं। हम तुम्हारे जैसे बंदरों को अपने पास रखने की क्षमता रखते हैं।”
राजौरी गार्डन से विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने केजरीवाल पर तंज कसते हुए कई जगह पोस्टर लगाए हैं, जिसमें केजरीवाल का कार्टून बना हुआ है और साथ में लिखा हैं, "खुद को सबसे बड़ा ईमानदार बताने वाला निकला सबसे बड़ा लुटेरा, स्कूलों में जो कमरा 5 लाख (रुपए) में बनता है वो बनाया 25 लाख में।"
"यह रोमांचक है कि बीजेपी और इससे संबंधित संस्थाएँ अब शिक्षा व्यवस्था के बारे में सोचना शुरू कर रही हैं। हालाँकि मुझे आश्चर्य हो रहा है कि जिसे थिंंक टैंक कहा जाता है, उसे यह मालूम नहीं है कि दिल्ली सरकार में भर्तियों की जिम्मेदारी BJP के एलजी की है।"
इस पत्र में उसी भावना का इजहार किया गया है जिसका राहुल गाँधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा देते हुए किया था। उन्होंने कहा था कि चुनाव के दौरान कॉन्ग्रेस का मुकाबला किसी राजनीतिक दल से नहीं, बल्कि पूरी सरकारी मशीनरी से था। उन्होंने संवैधानिक संस्थाओं के तटस्थ नहीं होने की बात भी कही थी।
जनता वापिस कॉन्ग्रेस के 'माई-बाप समाजवाद' के युग में नहीं जाना चाहेगी, जहाँ राहुल गाँधी जनता को आर्थिक रूप से सरकार पर निर्भर रखना चाहते थे या जहाँ फ़ाइलें इतना धीमें चलें कि नेहरू द्वारा उद्घाटित सरदार सरोवर बाँध का लोकार्पण मोदी के हाथों हो।
मनोज तिवारी ने मनीष सिसोदिया पर घोटाला करने का आरोप लगाते हुए इस्तीफे की माँग की है। उन्होंने कहा कि जिस लोकपाल की बात केजरीवाल करते थे, वो उसी लोकपाल को इस घोटाले की जानकारी देने जा रहे हैं।
आनंद सिंह ने अपना इस्तीफ़ा ऐसे समय में दिया जब मुख्यमंत्री कुमारस्वामी भारत में न होकर अमेरिका में हैं। ऐसा माना जा रहा है कि अन्य विधायक भी उनके नक्शेक़दम पर चल सकते हैं।
सांसद बनने के बाद खाली हुई सीटों पर कई सांसद अपने परिजनों को उतारने की तैयारी में थे। पार्टी ने इसे भाँपते हुए साफ कर दिया कि किसी भी जीते हुए सांसद के किसी भी रिश्तेदार को टिकट नहीं दी जाएगी। पार्टी के इस फैसले ने इन लोगों के इरादों पर पानी फेर दिया।