मुर्शिदाबाद में CAA के विरोध में बुलाई गई बंद के दौरान हिंसा भड़की। टीएमसी, माकपा और कॉन्ग्रेस एक-दूसरे को इसके लिए कसूरवार ठहरा रहे हैं। कई वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया गया।
हॉस्टल में रहने वाले छात्रों के लिए 15 बिंदुओं वाली नियमावली जारी की गई है। इसमें कहा गया है कि यहॉं रहने वाले लोग किसी भी देश विरोधी, गैर सामाजिक या किसी अवांछनीय गतिविधियों का हिस्सा नहीं बनेंगे।
तपन बोस ने भारतीय सेना को लेकर कहा कि पाकिस्तान कोई दुश्मन देश नहीं है। शासक वर्ग चाहे भारत का हो या पाकिस्तान का, एक जैसा है। हमारी सेना भी पाकिस्तानी सेना जैसी है। पाकिस्तानी सेना भी अपने ही लोगों को मारती है और हमारी सेना भी। दोनों में कोई अंतर नहीं है।
....रवीश जी ने कहा था टीवी मत देख, हम नहीं माने। लेकिन अब तो मानो, सरकार हमें दफन करना चाहती है, मारना चाहती है। सरकार के पास पैसा, पुलिस, फ़ौज और अदालतें भी हैं। हमारे पास कुछ भी नहीं है, ना सरकार, ना फ़ौज, ना पुलिस।
44 साल की मायावती को साँस लेने में तकलीफ हो रही थी। तबीयत अचानक ज्यादा बिगड़ गई तो उनके पति ने एंबुलेंस को फोन किया। लेकिन एंबुलेंस शाहीन बाग में प्रदर्शन के कारण फंसी रही। इस बीच मायावती की हाल बिगड़ती ही गई।
राज्यपाल ने अपने सम्बोधन का पैराग्राफ 18 पढ़ने से इनकार कर दिया। इस पैराग्राफ में सीएए को असंवैधानिक और भेदभाव करने वाला बताया गया था। सीएए के बारे में इस तरह की बातें लिखे जाने पर राज्यपाल ने आपत्ति जताई।
सीएए के समर्थन में आयोजित रैली में शामिल नीरज प्रजापति मुस्लिमों की हिंसा का शिकार बने थे। परिजनों ने ऑपइंडिया से बात करते हुए आरोप लगाया कि पुलिस व प्रशासन ने जल्दी-जल्दी अंतिम संस्कार कराने के चक्कर में धार्मिक रीति-रिवाज भी पूरा नहीं करने दिया।
जेएनयू छात्र संगठन ने लिखा, "शरजील उस अल्पसंख्यक मुस्लिम पहचान का नेतृत्व करते हैं, उसे तो निशाना बनाया ही जा रहा है और इसके लिए विरोधी और दबे हुए तबके की आवाज़ को कुचलने वाले क़ानून का इस्तेमाल किया जा रहा है।"
शाहीन बाग़ में हो रहे उपद्रव पर बोलते हुए भाजपा सांसद ने कहा कि सोते हुए लोगों को तो जगाया जा सकता लेकिन इन्हें कोई नहीं जगा सकता। उन्होंने कहा कि शाहीन बाग़ में बैठे लोगों की पीड़ा सीएए नहीं है, बल्कि अनुच्छेद 370 है, तीन तलाक़ है और राम मंदिर है।
हिजाब और बुर्का पहनी महिला इस वीडियो में कहती है कि आजकल आ रहा हर क़ानून मोदी का है, ऐसा कौन सा क़ानून है जो दूसरे का है? जब बुर्कानशीं महिला को याद दिलाया जाता है कि इस मामले में अभी कोर्ट ने कोई फ़ैसला नहीं दिया है तो वो कहती है कि कोर्ट भी तो 'उन्हीं' का है।