हाल ही में मुंबई में हुए एक विरोध प्रदर्शन में एक लड़की द्वारा "फ्री कश्मीर" का पोस्टर लहराने पर उसके ख़िलाफ में केस दर्ज किया गया था। हालाँकि, बाद में जेएनयू छात्रों ने सफाई देते हुए कहा कि वो कश्मीर में फ्री इंटरनेट को लेकर लिखा गया था, लेकिन अब आइशी घोष खुद इसे लेकर खुलकर सामने आ गई हैं।
जब तक CAA को खत्म नहीं किया जाएगा, तब तक हमारी लड़ाई जारी रहेगी। वहीं छात्र सहादत हुसैन ने पुलिस की कार्रवाई को निंदनीय बताया। इस दौरान छात्रों ने धरने पर AMU माँगे आजादी, JNU माँगे आजादी, संघवाद से आजादी जैसे नारे लगाए।
स्वस्तिका मुखर्जी सिंगापुर में दुकान से सोने का झुमका चुराते हुए पकड़ी गई थी। उस समय यह बंगाली अभिनेत्री एक बंगाली फिल्म महोत्सव के सिलसिले में सिंगापुर में थीं। अभिनेत्री को वहाँ के एक पॉश मॉल के शोरूम में सोने के झुमके चुपके से अपने हैंडबैग में रखते हुए पकड़ा गया था।
"अगर, कोई कोर्ट में हमारे ख़िलाफ़ याचिका दायर कर हम पर उन प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ कोई एक्शन न लेने का आरोप लगाता है, जिन्होंने उस दिन बैरीकेड तोड़े और मुख्यमंत्री के पास पहुँच गए, तो ये एफआईआर उन आरोपों में खारिज करने में मददगार होगी।"
विधायक फराज फातमी ने न केवल पार्टी के स्टैंड का विरोध किया है, बल्कि नीतीश कुमार को राज्य का सबसे बड़ा चेहरा भी बताया है। उन्होंने कहा, "बिहार में नीतीश कुमार से बड़ा कोई चेहरा नहीं है। 2020 में भी वही सरकार बनाएँगे।"
आम आदमी पार्टी के छात्र विंग के नेता कासिम उस्मानी ने स्थानीय लोगों को भड़काया। जामिया के छात्र ने ऑपइंडिया को दिए इंटरव्यू में किए कई बड़े खुलासे। उपद्रवी मुस्लिम छात्रों ने कुलपति के दफ्तर के ऊपर ही फिलिस्तीन का झंडा लगा दिया और इजरायल का झंडा जला डाला।
खलीफा ने खुलासा किया है कि राम मंदिर पर फैसला आते ही पीएफआई सक्रिय हो गया था। पीएफआई के लोग घर-घर जाकर मुस्लिमों को उकसा रहे थे। इसी कड़ी में 20 दिसम्बर को जुमे की नमाज के बाद पुलिस पर हमले की साज़िश रची गई थी।
कॉन्ग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर जब भी कोई बयान देते हैं या फिर कोई अजीबोगरीब हरकतें करते हैं, उसका फ़ायदा भाजपा को ही मिलता है। शायद यही कारण है कि पार्टी उन्हें एकांतवास में रखती है। लेकिन वो अचानक से बीच-बीच में निकल आते हैं और अपनी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा देते हैं।
"आपने अमित शाह को सलाह दी कि वो अपने नाम से 'शाह' उपनाम हटा लें। आपने कहा कि ये फ़ारसी शब्द है। आपने ये भी कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गठन मुस्लिमों पर हमला करने के लिए किया गया। आपने वीर सावरकर को देश के विभाजन के लिए जिम्मेदार ठहराया।"
शाहरुख़ ख़ान से भी वामपंथी लगातार अपील करते रहे हैं कि वो सरकार के ख़िलाफ़ बोलें लेकिन तीनों ख़ान ने इस सम्बन्ध में अब तक कोई बयान नहीं दिया है। अब स्थिति ये है कि शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारियों ने शाहरुख़ ख़ान को निशाना बनाया है। उन्होंने नाराज़गी जताई है।