भाजपा को धोखा देने के बाद शिवसेना से जनता ने उम्मीद की थी कि वे पार्टी की मूल विचारधारा यानी 'हिदुत्व' के साथ बेईमानी न करें। लेकिन अब आदित्य ठाकरे के ऐसे समारोह में शामिल होने की खबर देखकर लग रहा है कि शिवसेना अपनी मूल विचारधारा पर भी पानी फेरने को तैयार है।
इससे पहले कि माहौल बिगड़ता घटना की सूचना मिलते ही एसडीएम ऋषिराज, सीओ यूएम मिश्रा पुलिस दल-बल के साथ घटना-स्थल पर पहुँचे। पुलिस के आते ही सभी उपद्रवियों ने अपने घरों और गलियों में घुसना शुरू कर दिया और ग़ायब हो गए।
हिंसा में शामिल बांग्लादेशी घुसपैठिए सीमापुरी में छिपकर रह रहे थे। जुमे की नमाज के बाद भड़की हिंसा के दौरान जमकर उत्पात मचाया गया था। उपद्रवियों ने पुलिस पर हमले भी किए थे।
इस मामले में पुलिस ने 13 मुकदमें दर्ज कर क़रीब 148 उपद्रवियों को नामजद किया और 500 से अधिक लोग अज्ञात हैं। पुलिस ने दंगे में शामिल उपद्रवियों की फोटो और वीडियो के आधार पर उनकी पहचान की है। साथ ही दंगाइयों के पोस्टर्स भी शहर भर में लगाए गए हैं।
ABP की पत्रकार शोभना यादव के जवाब में यूपी के डिप्टी सीएम मौर्य ने कहा कि दंगाइयों ने उत्तर प्रदेश की पुलिस पर जानलेवा हमले किए फिर भी पुलिस ने संयम बरतते हुए कार्रवाई की और स्थिति पर नियंत्रण रखने की कोशिश की। सरकार किसी भी तरह की हिंसा को स्वीकार नहीं करेगी।
केंचुली उतार कर ये पूरा विरोध अब 'हम बनाम वो' का हो गया है। इस पूरे विरोध का लहजा 'मुस्लिम बनाम काफिर' का हो चुका है। वो खुल कर कह रहे हैं कि 'गलियों में निकलने का वक्त आ गया है', वो चिल्ला कर जामिया की गलियों में कह रहे हैं कि उन्हें 'हिन्दुओं से आज़ादी' चाहिए।
"फ़रहान अख्तर CAA के बारे में कुछ नहीं जानते थे और सिर्फ़ लोगों को CAA के ख़िलाफ़ खड़े होने के लिए उकसा रहे थे, इस दौरान वो कई मीडिया चैनल्स और उनके कैमरों में कैप्चर हो गए थे। अधिक परेशान करने वाली बात यह है कि इस विरोध के लिए लोगों को आमंत्रित करते समय उन्होंने भारत के ग़लत नक़्शे वाले पोस्टर का इस्तेमाल किया।"
लिबरल गैंग को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनका कहा सच है या झूठ। वे केवल अपने एजेंडे की परवाह करते हैं। उसे आगे बढ़ाने के लिए हिंदुओं पर क्रूर अत्याचार करने वाले इस्लामी शासकों का महिमामंडन करते हैं।