सांसद थरूर ने दिन में 5 बार 'ला इलाहा इल्लल्लाह' बोलने पर कोई आपत्ति नहीं जताई थी। उनकी आपत्ति बस वीडियो में प्रयुक्त नारे से थी, उसे जिस तरीके से पेश किया गया था, उससे थी। लेकिन थरूर के बयान को ही 'सॉफ्ट कट्टरता' करार दे दिया गया।
पाकिस्तानी हिन्दुओं ने बताया कि उबर के ड्राइवर नसीम ने उन्हें नीचे उतरने को कहा। जैसे ही वो नीचे उतरे, वो गाड़ी लेकर फरार हो गया। तेजिंदर बग्गा ने उबर ड्राइवर नसीम द्वारा पाकिस्तानी हिन्दू शरणार्थियों को गाड़ी से निकाल बाहर किए जाने की निंदा की।
"सैल्यूट है मेरठ के सिटी एसपी अखिलेश नारायण सिंह को, पाकिस्तान ज़िंदाबाद और भारत मुर्दाबाद के नारे लगा रहे उपद्रवियों को करारा जवाब देने के लिए। अब कुछ तथाकथित प्रबुद्धों को अफ़सोस है कि भारत मुर्दाबाद और पाकिस्तान ज़िंदाबाद बोलने वाले गद्दारों को पाकिस्तान जाने को क्यों कहा।"
आयशा ने प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि वो देश में अल्पसंख्यक राजनीति को उभरते हुए देखना चाहती हैं। उन्होंने अल्पसंख्यक राजनीति का अर्थ समझाते हुए बताया कि इसका आशय 'मुस्लिम-बहुजन पॉलिटिक्स' से है।
पाकिस्तान के प्रमुख समाचार पत्र डाउन ने वहाँ की नेशनल असेम्बली द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर छापा कि प्रति वर्ष 5000 हिन्दू अपनी जान बचाने के लिए भारत में जाकर शरण ले रहे हैं। तो फिर ऐसी क्या वजह है कि झूठी कपोल-कल्पित तस्वीर दिखाकर समुदाय विशेष के लोगों को भड़काने की राजनीति कॉन्ग्रेस और विपक्ष कर रही?
फैज की "हम देखेंगे... बस नाम रहेगा अल्लाह का" वाले पर इसी मीडिया गिरोह ने संदर्भ की बात करते हुए लेख पर लेख दे मारे। तो क्या दंगे-आगजनी की जगह पुलिस के निर्णय संदर्भ से परे हो जाते हैं? उसकी व्याख्या क्यों नहीं! क्योंकि ये आपके नैरेटिव को सूट नहीं करता।
"डिटेंशन कैंप ज़रूरी हैं। जेलों में क़ैद विदेशियों की सज़ा पूरी होने के बाद, उन्हें कहाँ रखा जाएगा? जब तक उन्हें उनके देश में वापस नहीं भेजा जाता है, जहाँ से वे आए थे, तब तक आपको उन्हें एक डिटेंशन कैंप में ही रखना होगा।"
जावड़ेकर ने राहुल गाँधी के आरोपों पर जवाब देते हुए कहा कि राजस्थान में कॉन्ग्रेस सरकार है, जहाँ एक अस्पताल में एक महीने में 77 बच्चों की मृत्यु हुई है। अगर राहुल गाँधी को जाना है तो वहांँ जाएँ और अपनी सरकार को सुधारें। उसके बजाय ये बेतुके बयान देना बंद करें।
वायरल हुए इस वीडियो के पीछे के प्रोपेगेंडा को समझना है तो इसे किन हस्तियों द्वारा कैसे शेयर किया गया, ये देखें। इस वीडियो को ट्विटर पर शेयर करते हुए कॉन्ग्रेस सांसद शशि थरूर ने लिखा, "ओह यस- उनके कपड़ों को देखकर आप बता सकते हैं कि वो कौन हैं।"
वरुण ग्रोवर की कविता 'कागज नहीं दिखाएँगे' को काटती बहुत अच्छी कविताओं में से एक कविता है ऊर्वी सिंह की। यह लखनऊ के एक कॉलेज में अंग्रेज़ी की सहायक अध्यापिका हैं। सुनिए उनकी कविता, उन्हीं की आवाज में, जो तोड़ती है छद्म लिबरलों और स्वघोषित बौद्धिकता का भाव पाले बैठे लोगों का घमंड।