Tuesday, March 19, 2024
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कॉन्ग्रेस व विपक्ष की दंगाइयों, घुसपैठियों के साथ खड़े होने की क्या मजबूरी है?

''पाकिस्तान के जो हिन्दू और सिख वहाँ नहीं रहना चाहते, भारत आना चाहते हैं, उनकी आजीविका, नागरिकता और सुविधाओं की व्यवस्था करना भारत सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।'' - महात्मा गाँधी के इन शब्दों को क्यों भूल गया है गाँधी परिवार?

जो कानून पीड़ितों को नागरिकता देने के लिए बनाया गया है, उसे कॉन्ग्रेस व उसके सहयोगी दल नागरिकता छीनने का भय दिखाकर देश की जनता को गुमराह कर रहे हैं। आखिर इतना बड़ा झूठ और प्रपंच किस लिए?
सीएए, एनआरसी और एनपीआर का घालमेल कर और झूठी कपोल-कल्पित तस्वीर दिखाकर समुदाय विशेष के लोगों को भड़काने और प्रायोजित हिंसा, प्रदर्शन, तोड़फोड़, आगजनी, गोलीबारी को शह देने की घटनाएँ राजनीति के लिए देशहित ताक पर रखने की कॉन्ग्रेस की पुरानी प्रवृत्ति

विपक्ष के दुष्प्रचार, अफवाह और दिग्भ्रमित करने वाली राजनीति तथा जनता पर पड़ने वाले इसके दुष्प्रभावों की बानगी देखनी हो तो नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएए), राष्ट्रीय जनसंख्या पंजिका (एनपीआर)और राष्ट्रीय नागरिक पंजिका (एनआरसी) पर गुरिल्ला शैली की नकारात्मक राजनीति में देखी जा सकती है। सर्वविदित है कि नागरिकता संशोधन कानून पर जिस तरह विपक्षी दलों की बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर सताए गए हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनों, पारसियों व ईसाइयों को नागरिकता देकर मानवता को बचाने के लिए लाया गया है। सीएए का धर्म से कुछ लेना देना नहीं है और न ही यह किसी की नागरिकता छीनता है। यह कानून पीड़ितों को नागरिकता देने के लिए है।

इन तीनों देशों में लाखों की संख्या में हिंदुओं का नरसंहार, हत्या, बलात्कार, जबरन धर्मांतरण, बहू-बेटियों को उठा ले जाने की घटनाएँ हुई हैं, हो रही हैं। मई 2014 में पाकिस्तान के प्रमुख समाचार पत्र डाउन (dawn.com) ने वहाँ की नेशनल असेम्बली द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर छापा था कि प्रति वर्ष 5000 हिन्दू अपनी जान बचाने के लिए भारत में जाकर शरण ले रहे हैं। अभी दो दिन पहले ही पाकिस्तान के क्रिकेटर शोएब अख्तर ने कहा है कि उनके देश में हिन्दू, सिखों के साथ किस तरह अत्याचार होता है। पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के प्रमुख खिलाड़ी रहे हिन्दू समुदाय के दानिश कनेरिया तक को अत्याचार सहना पड़ा। पाकिस्तानी खिलाड़ी दानिश कनेरिया को अछूत मानते हुए उनके साथ खाना तक नहीं खाते थे। कल्पना कीजिए कि इन देशों के साधारण हिन्दू के साथ कितना अमानवीय बर्ताव होता होगा।

लेकिन जिस प्रकार से कॉन्ग्रेस की अगुवाई में विपक्षी दलों द्वारा सीएए, एनआरसी और एनपीआर का घालमेल और झूठी कपोल-कल्पित तस्वीर दिखाकर समुदाय विशेष के लोगों को भड़काने का षड्यंत्र हुआ और देश के विभिन्न हिस्सों में विपक्षी दलों की शह पर प्रायोजित हिंसा, प्रदर्शन, तोड़फोड़, आगजनी, गोलीबारी हुई, वह सत्ता के लिए राजनीति के अपराधीकरण और वोटबैंक की राजनीति के लिए देशहित ताक पर रखने की कॉन्ग्रेस की पुरानी प्रवृत्ति को दर्शाती है।

ऐसी विध्वंसात्मक राजनीति करने वाली कॉन्ग्रेस, सपा, बसपा, राजद आदि विपक्षी दलों से प्रश्न है कि क्यों उन्हें उन करोड़ों हिन्दुओं की पीड़ा नहीं दिखती, जिन बेचारों के पास न तो आजीविका है और न ही शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएँ। आखिर ये दल वोट और तुष्टिकरण की राजनीति के लिए भारतीय संविधान की निर्देशिका, भारतीय संस्कृति के मूल्यों एवं महात्मा गाँधी की इच्छा के विरुद्ध क्यों हैं? गाँधी जी ने 26 सितंबर 1947 को प्रार्थना सभा में कहा था, ”पाकिस्तान के जो हिन्दू और सिख वहाँ नहीं रहना चाहते, भारत आना चाहते हैं, उनकी आजीविका, नागरिकता और सुविधाओं की व्यवस्था करना भारत सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।”

देश का विभाजन कराने वाली कॉन्ग्रेस फिर से देश को बाँटना चाहती है। कॉन्ग्रेस का चरित्र साम्प्रदायिक मुस्लिम लीग की तरह हो गया है। कॉन्ग्रेस और उसके पिछलग्गू दल उन अवैध बांग्लादेशी मुस्लिम और रोहिंग्याओं के साथ खड़े हैं, जो न केवल भारत के लोगों का अधिकार व संसाधन छीन रहे हैं, बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन चुके हैं, जबकि यही विपक्षी दल पीड़ित हिंदू शरणार्थियों का विरोध कर रहे हैं। कॉन्ग्रेस वोट के लिए अवैध बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों के खतरे को पालती पोसती आई है, देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बने रोहिंग्याओं को भारत में बसाने के लिए कॉन्ग्रेस और विपक्ष के नेता सुप्रीम कोर्ट तक गुहार लगाने चले जाते हैं। क्या कॉन्ग्रेस और उसके सहयोगी दलों के पास इस बात का जवाब है कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश तीनों इस्लामी देशों में एनआरसी पहले से लागू है तो वे भारत में एनआरसी का विरोध करके क्या करना चाहते हैं, क्या कॉन्ग्रेस व विपक्षी दल यह मानते हैं कि उन्हें भारत को धर्मशाला बनाकर राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ करने की छूट मिलनी चाहिए।

पिछले 70 सालों में भारत सरकार और संसद के अनेक ऐसे उदाहरण हैं, जिनसे पता चलता है कि सीएए जैसा कदम भाजपा सरकार से पहले पूर्ववर्ती सरकारों में भी उठाए जा चुके हैं। पहली बार जवाहर लाल नेहरू के प्रधानमन्त्रित्व काल में कैबिनेट ने असम इमिग्रेंट्स निष्कासन की स्वीकृति देकर घुसपैठियों को असम से निकालने का निर्णय लिया था। फिर उच्चतम न्यायालय के आदेश पर असम में एनआरसी प्रक्रिया कॉन्ग्रेस की यूपीए सरकार के समय ही शुरू हुई, लेकिन जैसा कि कॉन्ग्रेस की अटकाने, लटकाने और भटकाने की आदत है तो उसने ये काम भी ठीक से नहीं किए, ताकि घुसपैठियों को वोटर बनाकर सत्ता में बने रहें। कॉन्ग्रेस का उद्देश्य एक परिवार की सत्ता है, भले ही इसके लिए देश में आग लगाना पड़े, देश को खतरे में डालना पड़े या फिर नागरिकों की सुरक्षा से समझौता करना पड़े।

पूरे देश ने देखा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा राफेल सौदे को पारदर्शी व देश की सुरक्षा के लिए आवश्यक बताने के बावजूद किस तरह राहुल गाँधी और अन्य विपक्षी दलों ने बारबार और लगातार झूठ बोला। राहुल गाँधी को अपने इस झूठ के लिए सुप्रीम कोर्ट में लिखित माफी माँगनी पड़ी। हालाँकि कॉन्ग्रेस तब भी बाज नहीं आती और सुप्रीम कोर्ट सहित देश की संवैधानिक संस्थाओं पर अनर्गल आरोप लगाकर उनकी साख खत्म करने का प्रयास करती है।

इसी प्रकार 2003 में अटल जी की राजग सरकार द्वारा एनपीआर को नोटिफाई किए जाने के बाद 2010 में कॉन्ग्रेस की यूपीए सरकार ने एनपीआर बनवाया था। इसलिए कॉन्ग्रेस को बताना चाहिए कि किस हक़ से मोदी सरकार की नीयत और इरादों पर सवाल उठा रही है? अपने ही कार्यों पर आँख मूंदकर सीएए, एनआरसी और एनपीआर पर सवाल उठाने, वर्ग विशेष में निराधार भय फैलाकर उपद्रव, अराजकता पैदा करने पर कॉन्ग्रेस की नीयत सही कैसे? राज्यसभा में कॉन्ग्रेस के उपनेता आनन्द शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी को दंगाइयों से संवेदना रखनी चाहिए। आखिर कॉन्ग्रेस की ये कौन सी नीयत व इरादे हैं, जो उन्हें देश विरोधी तत्वों, दंगाइयों, घुसपैठियों के साथ खड़ा होने को मजबूर करती है? ये नकारात्मकता कॉन्ग्रेस और विपक्ष को भारी पड़ेगी क्योंकि सूचना क्रांति और सोशल मीडिया के इस दौर में जनता सत्य और तथ्य दोनों ही जानती है और नीर—क्षीर विवेकी भी है।

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Harish Chandra Srivastava
Harish Chandra Srivastavahttp://up.bjp.org/state-media/
Spokesperson of Bharatiya Janata Party, Uttar Pradesh

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