Thursday, April 25, 2024
Homeरिपोर्टमीडियापाकिस्तान परस्त दंगाइयों को जब SP ने समझाया, तो NDTV ने उसे ‘मुस्लिमों को...

पाकिस्तान परस्त दंगाइयों को जब SP ने समझाया, तो NDTV ने उसे ‘मुस्लिमों को धमकाया’ कह कर दिखाया

NDTV ने वही किया जो उसे करने में आनंद मिलता है। ये कमाल की बात है (और नहीं भी) कि NDTV ने पाकिस्तान ज़िंदाबाद का विचार रखने वाले समुदाय विशेष को कुछ नहीं कहा। क्या अब ‘विरोध’ के नाम पर दुश्मन देश के पक्ष में नारे लगेंगे क्योंकि वहाँ ‘अपनी कौम’ के मुस्लिम रहते हैं? फिर ऐसे लोगों को अगर पुलिस पाकिस्तान जाने बोल रही है तो इसमें समस्या क्या है?

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ विरोध की आड़ में दंगा किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में इन दंगाइयों की हिंसक भीड़ ने सबसे ज्यादा उत्पात मचाया। अंततः पुलिस को भी वो तरीके अपनाने पड़े, जिनसे अमूमन प्रशासन बचता है। उत्पाती और दंगाई भीड़ को शांत करने के लिए पुलिस को कहीं लाठियाँ तो कहीं आत्मरक्षा में गोली तक चलानी पड़ी। दंगाइयों की भ्रामक बातें और लोगों तक न पहुँचें और कम से कम लोग उनकी चाल में फँसे, इसी को लेकर मेरठ के सिटी एसपी अखिलेश नारायण सिंह संबंधित एरिया में लोगों को समझाते (उग्र होकर, गुस्से में) हैं। और उनका यह वीडियो वायरल कर दिया जाता है मीडिया गिरोह के द्वारा।

इस विडियो में कुछ गालियाँ हैं (जिसकी ऑपइंडिया निंदा करता है), लेकिन जिस तरह से NDTV ने संदर्भ हटा कर पुलिस को ‘मुस्लिमों को धमकाया’ कह कर चलाया है, उससे प्रतीत होता है कि समुदाय विशेष के लोग चाहे आग लगाएँ, सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान करें, पाकिस्तान के पक्ष में नारे लगाएँ, NDTV उन सारी बातों को उनके अल्पसंख्यक होने का गीत गा कर झुठला देगा।

इस विडियो में पुलिस बार-बार बता रही है कि ‘खाओगे यहाँ (भारत) का, गाओगे वहाँ (पाकिस्तान) का’ नहीं चलेगा। किस देश में वहाँ की पुलिस या वहाँ का राष्ट्रभक्त नागरिक इस बात को बर्दाश्त करेगा कि कुछ लोगों को एक दुश्मन देश ज्यादा प्रिय है? पुलिस ने तर्क के साथ दंगाइयों को सही बात समझाने की कोशिश की है। चूँकि माहौल संवेदनशील है, टेंशन वाला है तो पुलिस के मुँह से कुछ अपशब्द भी निकले जो गुस्से में हम-आप सब के मुँह से निकलते हैं। जहाँ बात जीवन और मृत्यु की हो, लोगों की जानें जा सकती हों, आगजनी और दंगे हो रहे हों, वहाँ पुलिस की भाषा पर सवाल नहीं उठाना चाहिए, फिर भी ऑपइंडिया इस भाषा का समर्थन नहीं करता।

लेकिन NDTV ने वही किया जो उसे करने में आनंद मिलता है। ये कमाल की बात है (और नहीं भी) कि NDTV ने पाकिस्तान ज़िंदाबाद का विचार रखने वाले समुदाय विशेष को कुछ नहीं कहा। क्या अब ‘विरोध’ के नाम पर दुश्मन देश के पक्ष में नारे लगेंगे क्योंकि वहाँ ‘अपनी कौम’ के मुस्लिम रहते हैं? फिर ऐसे लोगों को अगर पुलिस पाकिस्तान जाने बोल रही है तो इसमें समस्या क्या है?

अपने मतलब की चीज या प्रोपेगेंडा पर संदर्भ की बात करने वाले मीडिया गिरोह यह भूल जाते हैं कि संदर्भ तो हर एक पल, हर एक इंसान या हर एक फैसले का होता है। फैज की “हम देखेंगे… बस नाम रहेगा अल्लाह का” वाले पर इसी मीडिया गिरोह ने संदर्भ की बात करते हुए लेख पर लेख दे मारे। तो क्या दंगे-आगजनी की जगह पुलिस के निर्णय संदर्भ से परे हो जाते हैं? उसकी व्याख्या क्यों नहीं! क्योंकि ये आपके नैरेटिव को सूट नहीं करता।

फिर भी संदर्भ जानना जरूरी है। और इससे बेहतर क्या होगा जब संदर्भ वो इंसान खुद बताए, जिसने सारी बातें कहीं हैं। सुनिए मेरठ के सिटी एसपी की बात कि क्यों उन्हें उग्र भाषा में चेतावनी देनी पड़ी थी उस दिन।

हिंदुओं से आजादी, हिंदुत्व की कब्र, अल्लाहू अकबर याद नहीं… राजदीप को भगवा झंडा देख लगा डर, फैलाई घृणा

CM योगी की छवि धूमिल करने की कोशिश में कॉन्ग्रेस ने शेयर किया बिन J&K के भारत का नक्शा, हुई फजीहत

वरुण ग्रोवर की ‘कागज नहीं दिखाएँगे’ को तगड़ा तमाचा, तहजीब के शहर लखनऊ से

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

इंदिरा गाँधी की 100% प्रॉपर्टी अपने बच्चों को दिलवाने के लिए राजीव गाँधी सरकार ने खत्म करवाया था ‘विरासत कर’… वरना सरकारी खजाने में...

विरासत कर देश में तीन दशकों तक था... मगर जब इंदिरा गाँधी की संपत्ति का हिस्सा बँटने की बारी आई तो इसे राजीव गाँधी सरकार में खत्म कर दिया गया।

जिस जज ने सुनाया ज्ञानवापी में सर्वे करने का फैसला, उन्हें फिर से धमकियाँ आनी शुरू: इस बार विदेशी नंबरों से आ रही कॉल,...

ज्ञानवापी पर फैसला देने वाले जज को कुछ समय से विदेशों से कॉलें आ रही हैं। उन्होंने इस संबंध में एसएसपी को पत्र लिखकर कंप्लेन की है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe