कॉन्ग्रेस के जो लोग अपने आपको नेता, कार्यकर्ता कहते हैं, उन पर बड़ा तरस आता है। क्योंकि जहाँ कार्यकर्ता हो सकते हैं वह एकमात्र भाजपा है। कॉन्ग्रेस में कार्यकर्ता नहीं, ‘बाउंसर’ होते हैं। वे बाउंसर हैं सोनिया गांधी के, वे बाउंसर हैं राहुल के, और वे बाउंसर हैं मिसेज प्रियंका वाड्रा के।
महाराष्ट्र कॉन्ग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण का एक ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इसमें वो पार्टी से इस्तीफा देने की बात कह रहे हैं। मामला खुल जाने के बाद अब बेचारे इसे निजी बातचीत कह कर पल्ला झाड़ने में लगे हुए हैं।
साल 2008 में केरल की वायनाड सीट अस्तित्व में आई थी। यह सीट कन्नूर, मलाप्पुरम और वायनाड संसदीय क्षेत्र को मिलाकर बनी है। इससे पहले कॉन्ग्रेस के एमएल शाहनवाज़ इस सीट पर दो बार अपनी जीत दर्ज कर चुके हैं।
अगर इसी तरह से कॉन्ग्रेस में शामिल हुए नए नेताओं को बधाई दी जाती रही, तो अब कोई यह अनुमान लगा ही सकता है कि कॉन्ग्रेस के अधिकांश नेता अब डूबते जहाज से क्यों कूद कर किनारा ढूँढ रहे हैं।
आप का दावा है कि यदि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाता है तो दिल्ली के विकास कार्यों में तेजी आएगी। साथ ही केजरीवाल ने हाल ही में यह भी कहा था कि यदि दिल्ली पूर्ण राज्य बनेगा तो 10 साल के अंदर दिल्ली के हर एक परिवार को मकान बनाकर देंगे।