Friday, March 21, 2025
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चाहे सपना चौधरी सच में कॉन्ग्रेसी बनीं थीं या नहीं, कॉन्ग्रेस के लिए यह अशुभ प्रकरण ही है

यह मान भी लें कि सपना चौधरी ने कॉन्ग्रेस सदस्यता का फॉर्म भरा था और बाद में पीछे हट गईं, तो भी कॉन्ग्रेस का यह ‘सबूत’ जारी करना उसी तरह है जैसे कोई दूल्हा शादी से उठ कर जा रही दुल्हन के पीछे रोते-पीटते भागता है।

आज सुबह से यह समझ नहीं आ रहा है कि सपना चौधरी कॉन्ग्रेस में शामिल हुई या नहीं हुईं- केजरीवाल के 28 सीटों वाले गठबंधन से लेकर सालों तक चली तुलसी-मिहिर की कट्टी-मिट्ठी-कट्टी में भी इतना सस्पेंस नहीं रहा होगा, जितना सपना चौधरी ने एक दिन में कर दिया!

कभी खबर आई कि न केवल सपना चौधरी कॉन्ग्रेस में शामिल हो गईं हैं, बल्कि वे ‘गौतम गंभीर से बड़ा ‘कैच’ भी हैं’।

हालाँकि, यह आकलन किस आधार पर है, इस पर भी सवाल ज़रूर उठेगा- क्योंकि एक तो गौतम गंभीर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट खेल चुके हैं , दिल्ली के रणजी में और कोलकाता के आईपीएल स्टार थे, और फेसबुक पर 63 लाख से ज्यादा उनके पेज पर ‘लाइक्स’ हैं, वहीं  सपना चौधरी एक क्षेत्रीय नायिका-गायिका हैं, और उनके पेज पर 3 लाख से भी कम लाइक्स हैं।

कॉन्ग्रेस के सबसे बड़े सूबाई सरदार ने भी इसकी तस्दीक कर दी थी।

फिर शुरू हुआ ट्विस्ट पे ट्विस्ट

फिर ऐसा लगा कि सपना ने कॉन्ग्रेस का सपना तोड़ दिया क्योंकि एएनआई की खबर आ गई सपना के हवाले से कि वह किसी कॉन्ग्रेस-वॉन्ग्रेस में शामिल नहीं हुई हैं।

फिर कॉन्ग्रेस ने जारी किए ‘सबूत’, और अपनी दोतरफा हँसी उड़वाने का इंतजाम कर लिया:

कॉन्ग्रेस के लिए हर ओर फजीहत का आलम  

अगर यह मान भी लें कि सपना चौधरी ने कॉन्ग्रेस सदस्यता का फॉर्म भरा था और बाद में पीछे हट गईं, तो भी कॉन्ग्रेस का यह ‘सबूत’ जारी करना उसी तरह है जैसे कोई दूल्हा शादी से उठ कर जा रही दुल्हन के पीछे रोते-पीटते भागता है।

ज़ाहिर तौर पर अपने कदम पीछे खींच कर सपना चौधरी ने यह ज़ाहिर कर दिया कि उन्हें कॉन्ग्रेस में शामिल होने की ‘भूल’ का अहसास हो गया है, और वह उस भूल से पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहीं हैं। और जो इन्सान आपको एक liability (मुसीबत) के तौर पर देख रहा हो, उसकी कभी आपमें रही दिलचस्पी का सबूत क्या जारी करना?

यह “उसने सच में मुझसे flirt किया था; देखो screenshot” ब्रेकअप के बाद सोशल मीडिया पर झगड़ रहे 18-19 साल के युवाओं को शोभा देता है, 135 साल के होने जा रहे राजनीतिक दल को नहीं। क्या ‘चिरयुवा’ राहुल बाबा को अध्यक्ष बनाने के बाद पूरी कॉन्ग्रेस ने ही खिजाब लगाना शुरू कर दिया है? भारत अपने सबसे पुराने राजनीतिक दल से इससे ज्यादा मैच्योरिटी डिज़र्व करता है।

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