हरिंदर सिद्धू ने ईवीएम से मतदान की व्यवस्था की प्रशंसा करते हुए कहा, "भारत में ईवीएम आधारित मतदान की अच्छी प्रणाली है। यह पूरी तरह से व्यवस्थित है। चुनाव आयोग और उनके कर्मचारियों ने लोकसभा चुनाव 2019 को कुशलतापूर्वक संपन्न कराकर सराहनीय काम किया है।"
पवार ने सतारा में संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं भी मशीन के बारे में चिंतित हूं। हैदराबाद एवं गुजरात में कुछ लोगों ने एक ईवीएम मेरे सामने रखी और मुझसे एक बटन दबाने को कहा।’’
फ्रंटलाइन के संपादक ने स्वीकार किया है कि उनकी रिपोर्ट झूठी है और इस सम्बन्ध में एक अन्य रिपोर्ट प्रकाशित की जाएगी। वहीं दूसरी ओर, TV9 Bharatvarsh ने अपनी वेबसाइट और Youtube से अपनी रिपोर्ट हटा दी है।
"पवार जानते हैं कि उनकी बेटी लोकसभा चुनाव हार रही है, इसलिए वह काफी सधे रूप से कदम उठा रहे हैं। वह EVM पर हार की जिम्मेदारी थोपने की तैयारी कर रहे हैं। चुनाव आयोग को सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में सभी शंकाओं का निवारण करना चाहिए।"
युवक ने शिकायत की थी कि उसने एक विशेष उम्मीदवार को वोट दिया था लेकिन वीवीपैट में किसी अन्य उम्मीदवार को वोट जाता हुआ दिखा। इसके बाद पीठासीन अधिकारियों व पोलिंग एजेंट्स की मौजूदगी में एक 'टेस्ट वोटिंग' आयोजित किया गया। शिकायत झूठी पाने पर धारा 177 के तहत...
21 विपक्षी दल आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट जाएँगे, जहाँ कोर्ट से आग्रह किया जाएगा कि चुनाव आयोग हर विधानसभा में कम से कम 50% मतों का ईवीएम-वीवीपैट से मिलान करे। इस बात को लेकर विपक्ष ने पूरे देश में अभियान चलाने की भी बात कही है।
जाँच का दायरा बढ़ाने का आदेश देने के बावजूद भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह साफ़ किया कि उसे वर्तमान प्रणाली में कोई खोट नहीं दिखता और यह एक से पाँच की बढ़ोतरी केवल चुनाव प्रणाली में भरोसा बढ़ाने के लिए हो रही है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि EVM वोटिंग नहीं करता, बल्कि मतदाता करते हैं। इसलिए EVM की विश्वसनीयता पर संदेह करने का कोई कारण ही नहीं है। जब भी चुनाव आते हैं तो EVM को लेकर राजनीतिक दल सवाल उठाने लगते हैं।