सैंकड़ों की भीड़ वहाँ मौजूद है। आस-पास अल्लाह-हू-अकबर के नारे लग रहे हैं। इस्लामी झंडा लहरा कर मंदिर को तोड़ा जा रहा है। जगह जगह से धुआँ उठ रहा है। गोले दगने की आवाजें भी वीडियो साफ सुनाई पड़ रही हैं।
हर राष्ट्र में कानून बहुसंख्यकों के हिसाब से होता है और अल्पसंख्यकों को उसी दायरे के अनुकूल बनना पड़ता है। यहाँ हमेशा उल्टा होता आया है क्योंकि सर्वसमावेशन और सहिष्णुता की बात सिर्फ हिन्दुओं की ही जिम्मेदारी बन गई है।
मंदिर में जब प्रतिमा को तोड़ा गया तब हालात देखकर ये अंदाजा लगाया गया था कि उपद्रवी मंदिर में छिपे खजाने की तलाश में आए थे और उन्होंने कम सुरक्षा व्यवस्था देखते हुए मूर्ति तोड़ डाली।
"शिव शक्ति मंदिर में लगभग दर्जन भर देवी-देवताओं का सर कलम करने वाले विधर्मी दुष्ट का दूसरे दिन भी कोई अता-पता नहीं। हिंदुओं की सहिष्णुता की कृपया और परीक्षा ना लें।”
झारखंड की राजधानी राँची के अपर बाजार की रंगरेज गली में स्थित मंदिर में तोड़फोड़ की घटना सामने आई है। अराजक तत्वों ने यहाँ मंदिर में बने शिवलिंग को ही पूरा उखाड़ दिया।
1989 में पहली बार उग्र इस्लामिक कट्टरपंथियों की भीड़ ने मंदिर पर हमला बोला था। इसके बाद 24 फरवरी 1990, 13 अप्रैल 1991 और फिर 8 मई 1992 को इस मंदिर पर हमले हुए।