Sunday, October 6, 2024
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12वीं शताब्दी में विष्णुवर्धन के शासनकाल में बनी महाकाली की मूर्ति को मिला पुन: आकार, पिछले हफ्ते की गई थी खंडित

“सरकार को उपद्रवियों को कड़ी सजा देनी चाहिए। इस समय भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) हेरीटेज वीक मना रहा है, लेकिन उसी समय यह विरासत क्षतिग्रस्त हो गई है। यह हमारी विरासत और इतिहास का बहुत नुकसान है। एएसआई को इस बड़े नुकसान का जवाब देना चाहिए और उन्हें ही इस अपूरणीय क्षति के लिए जिम्मेदार होना चाहिए।”

कर्नाटक के हसनपुरा जिले में स्थित डोदगादवल्ली (Doddagaddavalli) मंदिर में बनी महाकाली की मूर्ति को पिछले शुक्रवार (नवंबर 20, 2020) को असामाजिक तत्वों द्वारा खंडित कर दिया गया था। अब एक हफ्ते बाद इस मामले में जानकारी आई है कि वहाँ मूर्ति की मरम्मत का काम हो गया है और महाकाली की मूर्ति को उसके वास्तविक आकार में दोबारा ढाल दिया गया है।

यह जानकारी स्तंभकार मोनिदिपा बोस डे ने दी है। उन्होंने लिखा, “क्षतिग्रस्त हुई डोदगादवल्ली महाकाली प्रतिमा को उसके मूल आकार में बहाल कर दिया गया है।”

गौरतलब है कि महाकाली मूर्ति को खंडित करने का मामला शुक्रवार को उस दौरान संज्ञान में आया था जब स्थानीय लोग मंदिर पहुँचे थे और उन्होंने प्रतिमा को टूटा पाया था। मंदिर की हालत देखकर ऐसा अंदाजा लगाया गया था कि उपद्रवी मंदिर में छिपे खजाने की तलाश में आए थे और उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था कम देखते हुए मूर्ति तोड़ डाली।

12 वीं सदी की इस मूर्ति को टूटा हुआ देखने के बाद प्राचीन इतिहास और पुरातत्व विशेषज्ञ, डॉ. शाल्वपिल अयंगर ने हसन न्यूज से बात करते हुए कहा था कि डोदगादवल्ली चतुशकुता मंदिर की भद्रकाली या दक्षिणा काली प्रतिमा को उपद्रवियों द्वारा नष्ट कर दिया गया। यह हमारी विरासत को बड़ा नुकसान है। इस मंदिर का निर्माण 1113 ई0 में होयसल वंश के विष्णुवर्धन के शासनकाल में हुआ था। यह महालक्ष्मी का एक अनूठा मंदिर है और भद्रकाली की प्रतिमा दक्षिण गर्भगृह में रखी गई है।

उन्होंने आगे मंदिर की महत्ता पर बात करते हुए कहा, “सरकार को उपद्रवियों को कड़ी सजा देनी चाहिए। इस समय भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) हेरीटेज वीक मना रहा है, लेकिन उसी समय यह विरासत क्षतिग्रस्त हो गई है। यह हमारी विरासत और इतिहास का बहुत नुकसान है। एएसआई को इस बड़े नुकसान का जवाब देना चाहिए और उन्हें ही इस अपूरणीय क्षति के लिए जिम्मेदार होना चाहिए।”

यहाँ बता दें कि पिछले कुछ समय से भारतीय संस्कृति और उसकी विरासत पर हमले के कई मामले देखने को मिले हैं। 12 वीं सदी में बनाई गई महाकाली की मूर्ति पर हमला इसी का एक उदाहरण है। पिछले दिनों 6 सितंबर 2020 तारीख को अंतरवेदी में श्री लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी मंदिर में एक सदी से भी पुराना रथ जलाकर राख कर दिया गया था। इसके अलावा 14 फरवरी 2020 को नेल्लोर में श्री प्रसन्ना वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर के रथ को कुछ उपद्रवियों ने देर रात जलाया था। 21 जनवरी 2020 को कुछ उपद्रवियों ने पूर्वी गोदावरी जिले के पीथापुरम शहर में देवी-देवताओं की मूर्तियों और बैनरों को क्षतिग्रस्त कर दिया था। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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