पटनायक लिखते हैं कि गांधारी ने अपने बच्चे को शरीर से बाहर निकालने के लिए अपनी दासियों को अपने पेट पर लोहे की छड़ से वार करने को कहा लेकिन महाभारत में ऐसा कोई प्रसंग नहीं है। असल में गांधारी ने ख़ुद से अपने पेट पर मारा और क्षणिक गुस्से में 'Self-Abortion' किया।
इस फ़ोटों के लिए आर माधवन को लिबरल्स गैंग द्वारा ट्रोल किया जा रहा है। उनके अनुसार, जनेऊ, यज्ञोपवीतम या जिसे तमिल में पूनल कहा जाता है, जातिवाद का प्रतीक है और माधवन को अपने पूर्वजों की परंपराओं को बनाए रखने के लिए ख़ुद पर शर्म आनी चाहिए।
वैष्णव मान्यताओं में इस कहानी की प्रतीकों के रूप में मान्यता भी है। ऐसा माना जाता है कि हाथी यहाँ जीव का स्वरूप है, मगरमच्छ उसके पाप और माया हैं, जिस नदी के कीचड़ जैसे स्थान में हाथी मगरमच्छ के जबड़े में फँसा है, वो कीचड़ संसार है।
हिन्दू संगठनों ने कहा, "जो परिवार अपनी जन्मभूमि वापस नहीं जाना चाहते, उनकी संपत्ति का सरकार इस्तेमाल करे और ऐसे सभी परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाए। यह सब सरकार का दायित्व है।"
जब समुदाय विशेष का व्यक्ति विशेष रूप से हलाल मांस की माँग करता है, तो ऐसे में वह साफ़ तौर पर ऐसी सेवा की माँग कर रहा होता है, जो केवल उसके ही मजहब द्वारा ही दी जा सकती है। बेहद साफ़ है कि एक मुस्लिम अपनी धार्मिक पहचान के कारण एक ग़ैर-मुस्लिम से सेवा लेने से इनकार करता है।
रामायण अमेरिका के सबसे बड़े कला संग्रहालय ‘द मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट' में साल भर तक चलने वाली एक प्रमुख प्रदर्शनी का केंद्र बिंदु होगा। इस प्रदर्शनी में 17वीं से 19वीं शताब्दी के बीच उत्तर भारत के राजपूत और पहाड़ी दरबारों के लिए रामायण से संबंधित 30 चित्रों को प्रस्तुत किया जाएगा।
इरा त्रिवेदी अब लोगों को यह समझाने की कोशिश कर रही हैं कि जिस ट्वीट में उन्होंने क़ुरान को प्रगतिशील और आधुनिक हिंदू धर्म को दकियानूसी बताया था, वह एक फ़ेक ट्वीट है। लेकिन लोगों ने न सिर्फ ओरिजनल ट्वीट का स्क्रीनशॉट दिखाया बल्कि डिलीट किए गए ट्वीट का लिंक भी दे मारा।
अलेक्जेंडर दोर्किन को सज़ा देने और रूस में हिंदुओं की मदद के लिए संयुक्त राष्ट्र से मान्यता प्राप्त 12 बड़े NGO समर्थन में आए। नरेंद्र मोदी और एस जयशंकर को पत्र भेजकर ईसाई कट्टरपंथियों के बारे में बताया गया। इनके अनुसार, हिंदू धर्म मानव जाति के लिए सबसे घातक दर्शन है।
पानीपत के चार बेटे अपने माता-पिता को काँवड़ में बिठाकर उत्तराखंड के हरिद्वार से शामली पहुँचे हैं। सोशल मीडिया पर चारों भाईयों और उनके माता-पिता की फ़ोटो वायरल तो हो ही रही है, साथ ही ख़ूब तारीफ़ भी हो रही है।