आज विपक्षी नेताओं के साथ हुई सर्वदलीय बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी ने भी कहा है कि यह मुश्किल प्रतीत हो रहा है कि लॉकडाउन को जल्द ही खत्म किया जा सके। उन्होंने कहा कोरोना वायरस से पहले और उसके बाद का जीवन बिल्कुल भी एक सा नहीं रहेगा। कई सामाजिक, व्यवहारिक, व्यक्तिगत बदलाव होंगे।
भारत द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद डोनॉल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करके मदद माँगी थी ताकि वे अमेरिका अपने देश में कोरोनोवायरस रोगियों की बढ़ती संख्या के इलाज के लिए 'हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन' की गोलियों की बिक्री की अनुमति दे सकें।
अब तक सरकार 20 लाख एन-95 मास्क्स को विभिन्न अस्पतालों में मुहैया करा चुकी है। इस हिसाब से अभी फ़िलहाल देश में 16 लाख एन-95 मास्क उपलब्ध होने की बात सरकार ने बताई है। जिन राज्यों में कोरोना वायरस के मामले ज्यादा हैं, उन्हें इन चीजों की ज्यादा सप्लाई दी जा रही है।
तबलीग़ी जमात का एक सदस्य मोहम्मद आलम सीधे तौर पर मौलाना साद को इस सबका जिम्मेदार ठहराते हुए कहता है कि मौलाना साद ने अपने अज्ञान और जिद के कारण समुदाय को इस महामारी के मुँह में ढकेल दिया है। लियाकत अली खान नाम का दूसरा व्यक्ति सवाल करता है कि वो छिपा क्यों बैठा है, क्यों नहीं अपनी वायरस जाँच करवा रहा?
कल से आज तक 472 नए मामले सामने आए हैं, जिससे देश में कोरोना संक्रमित कुल मामलों की संख्या अब 3374 तक पहुँच चुकी है। अग्रवाल ने यह भी बताया कि अब तक देश के 274 जिलों से कोरोना संक्रमण के केसेस आ चुके हैं। जबकि भारत में अब तक कोरोना के कारण मरने वालों की संख्या 79 हो चुकी है, जिसमें से 11 शनिवार और रविवार को मिलाकर हुई हैं।
"सभी राज्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए अलग से अस्पताल की व्यवस्था हो। इलाज करने वाले डॉक्टरों की सुरक्षा के उपाय किए जाएँ। COVID-19 के उपचार के संबंध में डॉक्टरों के लिए ऑनलाइन ट्रेनिंग की सुविधा भी प्रदान की जाए।"
डॉ फेन के मुताबिक, 30 दिसंबर को प्रयोगशाला में पता चला कि यह विषाणु ‘SARS Coronavirus’ जैसा है। डॉ फेन ने रिपोर्ट की तस्वीर लेकर अपने वरिष्ठों और सरकारी अधिकारियों को भेजी। शाम तक यह तस्वीर वुहान के सभी डॉक्टरों के पास पहुँच गई। डॉक्टर ली वेनलियांग ने इसे सोशल मीडिया पर डालकर दुनिया भर को बताया कि नया कोरोना विषाणु फैल रहा है।
संभलिए, मान जाइए, घर पर रह कर जंग लड़ने के इस आसान से अवसर को गँवा कर बड़ी जंग मत हारिए। सारा विश्व इस साझी समस्या का शिकार है और इस रूप में ही सही, सम्पूर्ण मानवता अब एक परिवार की तरह नज़र आ रही है। यानी मजबूरियाँ हमें ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ तक ले आई हैं, अब हमें अपने प्रयासों से इसे ‘सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:’ की ओर ले जाना है।
यह राशि फरवरी में अमेरिका की ओर से घोषित 10 करोड़ डॉलर की मदद के अलावा है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के मुताबिक लेबोरेटरी सिस्टम, ऐक्टिव केस ढूँढने, निगरानी और टेक्निकल एक्सपर्ट्स की मदद संबंधी तैयारियों आदि को दुरुस्त करने के काम में इस पैसे का इस्तेमाल किया जा सकेगा।