Sunday, November 17, 2024

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Indian Independence

जलियाँवाला बाग नरसंहार: रवींद्रनाथ टैगोर करना चाहते थे विरोध सभा, क्यों नहीं मिला महात्मा गाँधी और कॉन्ग्रेस का साथ?

जलियाँवाला नरसंहार के बाद जनरल डायर की ब्रिटिश पार्लियामेंट भी तारीफ कर रही थी और मोतीलाल नेहरू भी अग्रेजों की शान में कसीदे पढ़ रहे थे।

प्रियंका गाँधी का ‘अहिंसा से मिली आज़ादी’ वाला झूठ: ये वायनाड के जनजातीय समाज का भी अपमान, आंबेडकर ने भी कहा था – अहिंसा...

वायनाड में जनजातीय समाज के रमन नाम्बि का सिर काट कर उनके छोटे से बच्चे के सामने प्रदर्शित किया गया। उसी वायनाड में प्रियंका गाँधी कहती हैं कि अहिंसा से आज़ादी मिली। क्या ये ऐसे क्रांतिकारियों का अपमान नहीं?

‘इतिहास का प्रचार-प्रसार भारत के उत्थान का सबसे बड़ा उपाय’: गलत से समझौते के खिलाफ थे गणेश शंकर विद्यार्थी, भाले-लाठी से पीट-पीट कर भीड़...

गणेश शंकर विद्यार्थी का कहना था कि मृत आत्माओं में जीवन डालना और सूखे फूल को हरा-भरा बनाना या तो अमृत से (यदि अमृत जैसा कुछ है) या इतिहास से ही प्राप्त किया जा सकता है।

और इस तरह एक बार फिर काल के गाल को प्राप्त हुआ अश्वस्थामा… चंद्रशेखर आज़ाद की मूँछ वाली तस्वीर के पीछे की कहानी, अज्ञातवास...

"क्या बात कर दी मास्टर जी आपने, जान से ज़्यादा भरोसा है आप पर।" - चंद्रशेखर आज़ाद ने कहा। आखिरकार मास्टर जी ने आज़ाद को मना ही लिया तस्वीर के लिए।

भारत में विदेशी वस्तुओं का दहन करने वाले पहले नेता थे वीर सावरकर, तब गाँधी ने भी किया था विरोध: छत्रपति शिवाजी महाराज की...

"मैं उन अद्भुत माताओं के नाम पर शपथ लेता हूँ जिनके मासूम बच्चों को अत्याचारी अंग्रेज़ों ने ग़ुलाम बना कर प्रताड़ित किया है और मार दिया है।”

घूमते आवारा कुत्ते, मूर्ति पर कालिख और जूते-चप्पल पहने लोग: बदतर स्थिति में बलिदानी चंद्रशेखर आज़ाद का अंत्येष्टि स्थल, लोग बोले – न नेता...

प्रयागराज में जहाँ हुआ था क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद का अंतिम संस्कार, वहाँ लोटते हैं कुत्ते और जूते पहन कर घूमते हैं लोग। मूर्ति पर कालिख।

क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद के बलिदान स्थल वाले पार्क में वक्फ बोर्ड वाली दरगाह; मर्दों को टोपी पहन कर ही घुसने का फरमान

प्रयागराज में क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद के बलिदान स्थल वाले पार्क में कथित वक्फ बोर्ड की दरगाह है। यहाँ जियारत के लिए लोग जमा भी होते हैं।

‘नेशनल कॉलेज’ और भगत सिंह के राजनीतिक गुरु: ‘पगड़ी सँभाल ओ जट्टा’ के पीछे की कहानी कहता है ‘क्रांतिदूत’ का 5वाँ भाग ‘बसंती चोला’

महाराजा रणजीत सिंह की सेना में भगत सिंह के पूर्वज खालसा सरदार थे। 'नेशनल कॉलेज' में गुलामी की ज़ंजीरें मुक्त करने के विचारों की शिक्षा दी जा रही थी।

18 साल की उम्र में फाँसी पर चढ़ने वाले क्रांतिकारी: सावरकर भाइयों से प्रेरित हुए तो धधकी आज़ादी वाली आग, छद्म ‘वैदिक’ अंग्रेज कलक्टर...

पता लगता है कि नासिक निवासीगण, विजयानंद थिएटर में जैक्सन के लिए विदाई समारोह का आयोजन करने वाले हैं। इसके बाद अनंत लक्ष्मण कन्हेरे उसे मार गिराने की जिम्मेदारी लेते हैं।

पंडित मदन मोहन मालवीय: वकील बने तो 153 को फाँसी से बचाया, हैदराबाद के निजाम को भी अपने सामने झुकाया

"जब मैं मदन मोहन मालवीय जी से मिला, वह मुझे गंगा की तरह निर्मल और पवित्र लगे। मैंने तय कर लिया कि मैं उसी निर्मल धारा में गोता लगाऊँगा।"

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