ये किसी फिल्म के दृश्य नहीं हैं जहाँ नाटकीयता के लिए आरी से किसी को काटा जाता है, किसी की खोपड़ी में लोहे का रॉड ठोक दिया जाता है, किसी की आँखें निकाल ली जाती हैं, किसी के दोनों गाल चाकू से चमड़ी सहित छील दिए जाते हैं, किसी के तिलक लगाने वाले ललाट को चाकू से उखाड़ दिया जाता है…
खतरा गली-गली पसर गया है। नहीं चेते तो आज का कोई अशफाक कल आपके कमलेश का गला रेत जाएगा। मजहबी कट्टरपंथ को आज दफन नहीं किया तो बात हिंदुत्व के कब्र खुदने जैसे नारों पर ही नहीं रुकेगी। समाज के तौर पर इससे लड़ना ही होगा।
जम्मू-कश्मीर में कभी पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाते तो कभी सेना पर पत्थरबाजी का सीन आम है। लेकिन ऐसा पहली बार हुआ जब कश्मीरी पंडित ने 'फ्री कश्मीर फ्रॉम इस्लामिक टेररिज़्म' का पोस्टर लहराया हो, विदेशी दल को जमीनी हकीकत से वाकिफ कराया हो।
लगभग 1000 वहाबी प्रचारक (कट्टर इस्लाम के प्रचारक) केरल में आए। विचारधारा को फैलाया, पानी की तरह पैसा बहाया। कई नई मस्जिदों का निर्माण कराया, सब सऊदी अरब स्टाइल में। लेकिन यह सुनिश्चित किया कि इन मस्जिदों से कट्टरपंथी विचारधारा का प्रचार किया जाएगा।
बात सिर्फ उत्तर प्रदेश पुलिस या UP में हुए दंगों की नहीं है। PFI का कनेक्शन पूरे देश में है और इसकी गतिविधियाँ देशद्रोही हैं। दिल्ली पुलिस और ख़ुफ़िया एजेंसियों ने साथ मिलकर जामिया मिलिया इस्लामिया में हुए दंगों के कारणों की जाँच की थी। इस पूरे मामले में भी PFI के तार जुड़े मिले थे।
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पिछले कुछ सालों में जमीन और पानी की लड़ाई ने यहाँ एक भयंकर मजहबी रूप ले लिया है। जिसके चलते जनवरी 2019 से अब तक 1000 ईसाई मारे जा चुके हैं। जबकि पिछले 4 सालों में ये आँकड़ा 6000 से ज्यादा का है।
"कोयंबटूर आतंकी घटनाओं के आरोपी के लिए जेल को स्पा में बदला। अब्दुल नासिर की मालिश का खर्च वहन सरकार कर रही थी, उसकी पत्नी के खिलाफ गिरफ्तारी वॉरंट होने के बावजूद वह नासिर से बेरोकटोक मिल सकती थी। यह तब हो रहा था जब कॉन्ग्रेस के 33 विधायक और DMK के 97 MLA थे।"
यूरोप पर कट्टरपंथी आतंकियों के केमिकल अटैक के अलावा 2020 जिन बड़ी और वैश्विक घटनाओं को लेकर उन्होंने भविष्यवाणी की है, उनमें ये दो भी प्रमुख हैं - (i) रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर हमला होगा (ii) अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप संदिग्ध बीमारी का शिकार होंगे, जिससे वो...