कार्ति चिदंबरम ने कहा कि रजनीकांत ने कश्मीर मसले और भारत के संवैधानिक इतिहास को समझे बिना मोदी-शाह की तुलना कृष्ण-अर्जुन की जोड़ी से कर दी। उन्होंने कहा कि रजनीकांत पर सेलेक्टिव मसलों पर ही बयान देने का भी आरोप लगाया है।
इस केस में चिदंबरम के पुत्र कार्ति चिदंबरम पर अनुचित लाभ हासिल करने का आरोप है। कार्ति को आईएनएक्स मीडिया से जुड़े एक अन्य मामले में मार्च 2018 में गिरफ़्तार भी किया गया था।
ये मामला साल 2007 में आईएनएक्स मीडिया से मिले धन के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड से अनुमति मिलने से संबंधित है। जिसमें 305 करोड़ रुपए की गैर-कानूनी लेन-देन मामले में इंद्राणी मुखर्जी के अलावा पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम भी आरोपी है।
पिछले साल, इंद्राणी मुखर्जी ने एक सनसनीखेज खुलासा किया था। उन्होंने बताया था कि वे चिदंबरम से उनके नॉर्थ ब्लॉक कार्यालय में मिली थीं और उनसे उनकी मीडिया कंपनी में विदेश निवेश के लिए क्लीयरेंस की माँग की थी। इंद्राणी का दवा है कि पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने उनसे अपने बेटे कार्ति के व्यवसाय में मदद करने को कहा था।
इससे पहले छह मई को पी चिदंबरम और कार्ति को दिल्ली की अदालत ने 30 मई तक गिरफ्तारी से छूट प्रदान की थी। एजेंसियों ने अदालत में कहा था कि मामले की पूरी जाँच के लिए उनकी टीमें ब्रिटेन और सिंगापुर गई हुई हैं।
जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ के समक्ष कार्ति चिदंबरम की तरफ़ से दलील दी गई थी कि उन्होंने क़र्ज़ लेकर सिक्यूरिटी डिपोजिट की व्यवस्था की थी। उन्होंने अदालत को कहा था कि उन्हें उस कर्ज़े का ब्याज भी देना पड़ रहा है।
स्पेशल जज ओपी सैनी ने चिदंबरम पिता-पुत्र के वकील और कॉन्ग्रेस के राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलें सुनने के बाद यह निर्णय लिया। सरकारी एजेंसियों की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जाँच पूरी करने के लिए और समय की माँग की।
श्रीवास्तव ने कार्ति चिदंबरम पर चुनावी धोखाधड़ी का भी आरोप लगाया और कहा कि उनका शपथपत्र झूठा है। उन्होंने वह संपत्ति तो घोषित ही नहीं की है जो आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय ने छापा मारकर सामने लाई थी।