एयरसेल-मैक्सिस घोटाला मामले में आरोपित पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम को अदालत ने 30 मई तक गिरफ्तारी से राहत दी है। सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) इस मामले की जाँच कर रही है। अदालत ने 30 मई तक दोनों कॉन्ग्रेस नेताओं को गिरफ़्तारी से अंतरिम प्रोटेक्शन दिया। स्पेशल जज ओपी सैनी ने चिदंबरम पिता-पुत्र के वकील और कॉन्ग्रेस के राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलें सुनने के बाद यह निर्णय लिया। सरकारी एजेंसियों की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जाँच पूरी करने के लिए और समय की माँग की।
Special Court adjourns hearing in Aircel-Maxis case once again till May 30 after prosecution seeks time. Interim protection from arrest granted to P Chidambaram and Karti Chidambaram extended till the next date of hearing. #AircelMaxis @PChidambaram_IN @KartiPC
— Bar & Bench (@barandbench) May 6, 2019
अदालत कई बार चिदंबरम को गिरफ़्तारी से राहत दे चुकी है। ऐसा पिछले वर्ष से ही चला आ रहा है। इस से पहले प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआइ ने अदालत से कहा था कि पी चिदंबरम जाँच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। 2018 में 30 मई को गिरफ़्तारी से राहत के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल करने के बाद से उन्हें कई मौकों पर कोर्ट से राहत मिल चुकी है। इसी साल अगस्त महीने में सीबीआई के स्पेशल जज ओपी सैनी ने उन्हें अक्टूबर तक गिरफ्तारी से राहत प्रदान की थी।
उससे पहले शीर्ष अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायलय के चिदंबरम पिता-पुत्र को जमानत देने सम्बन्धी फैसले में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया था। बता दें कि उस समय कॉन्ग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने उनकी तरफ से अदालत में जिरह की थी। पिछले वर्ष दिसंबर में भी उन्हें अदालत द्वारा 11 जनवरी तक गिरफ़्तारी से राहत प्रदान की गई थी।
एयरसेल मैक्सिस केस में पी चिदंबरम की ज़मानत पर आज भी नहीं हो सका फैसला. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की कपिल सिब्बल और मनु सिंघवी से हुई तीख़ी बहस. इस पर हमें जानकारी दे रही हैं आज़तक संवाददाता @twtpoonam रॉउज़ एवेन्यू कोर्ट से #ReporterDiary अन्य वीडियो: https://t.co/mf6keLW7vJ pic.twitter.com/s1ddduO9qn
— आज तक (@aajtak) May 6, 2019
पी. चिदंबरम पर आरोप है कि उन्होंने वित्त मंत्री रहते हुए गलत तरीके से विदेशी निवेश को मंजूरी दी थी। उन्हें 600 करोड़ रुपए तक के निवेश की मंजूरी देने का अधिकार था, लेकिन यह सौदा करीब 3500 करोड़ रुपयों के निवेश का था। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपने अलग आरोप पत्र में कहा है कि कार्ति चिदंबरम के पास से मिले उपकरणों में से कई ई-मेल मिली हैं, जिनमें इस सौदे का जिक्र है। इसी मामले में पूर्व टेलिकॉम मंत्री दयानिधि मारन और उनके भाई कलानिधि मारन भी आरोपित हैं।