कॉन्ग्रेस का हिन्दू आस्था और उनके प्रतीकों के अपमान के प्रति आक्रोश महज एक दिखावा है। उनका मंदिर-मंदिर दौड़ लगाना भी केवल वोट बैंक को आकर्षित करने की कोशिश है जबकि बार-बार उनके व्यवहार से उनका हर झूठ बाहर आता रहता है। यह घटना नई नहीं है ऐसा पहले भी हो चुका है। एक गौहत्या करने वाले के साथ की उनकी तस्वीरें उनके चरित्र के दोहरेपन को उजागर करती हैं।
सुधाकरण द्वारा पोस्ट यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। लोग सुधाकरण के महिला विरोधी बयान की आलोचना कर रहे हैं। महिला आयोग ने भी मामले का संज्ञान लेते हुए सुधाकरण द्वारा इस्तेमाल की गई वीडियो पर मुकदमा दायर किया है।
संगठन के महासचिव अलीक्कूटी मुसलियर ने इस मामले पर कहा, “हम धार्मिक मामलों में कोर्ट के हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं कर सकते हैं। हमें अपने धार्मिक नेताओं के निर्देशों को मानना चाहिए।”
सवाल यह भी है कि क्या हम खुद अपने मंदिरों पर जारी हमलों को उसी तरह देखने और बयान करने की हिम्मत जुटाएँगे जैसा वो सचमुच हैं? सेकुलरिज्म का टिन का चश्मा हम अपनी आँख से उतारेंगे क्या?
दोनों नेताओं की पार्टी के मध्य अनेकों मतभेदों के बाद भी निर्मला सीतारमण का थरूर से मिलना उन्हें भावुक कर गया। उन्होंने ट्विटर पर अपनी तस्वीर को साझा करने के साथ कहा कि राजनीति में शिष्टाचार एक दुर्लभ गुण है।
साल 2009 में केरल के तिरुवनंतपुरम से सांसद चुने जाने वाले शशि थरूर एक बार फिर यहाँ से अपनी किस्मत आजमाने को तैयार हैं। वे तिरुवनंतपुरम से कॉन्ग्रेस के लोकसभा उम्मीदवार हैं।
केरल जैसे राज्य में जहाँ इसी विचारधारा के लोगों का शासन है, वहाँ आए दिन भाजपा/ आरएसएस के कार्यकर्ताओं की निर्मम हत्याओं की खबरें आती हैं। तब वहाँ हेट पॉलिटिक्स पर लेक्चर देना किसी से भी संभव नहीं हो पाता और न ही कोई अपील हो पाती है। 2012 में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट बताती है कि केरल में सर्वाधिक 455.8 संज्ञेय अपराध दर्ज किए गए हैं। लेकिन फिर भी इनके लिए भाजपा ही हेट पॉलिटिक्स का पर्याय है।
दक्षिण में राहुल ने वाम मोर्चा से ही लड़ने का फैसला ले लिया! इस पर अच्युतानंद का कहना है कि यह तो वैसे ही है जैसे किसी पेड़ की उस शाखा को काटना, जिस पर आप बैठे हैं। ऐसे में राहुल के बारे में उन्होंने जो सालों पहले ‘अमूल बेबी’ बोला था, वह आज भी वैसे ही लागू होता है।