सड़क पर नमाज से न केवल आम लोगों को परेशानी होती है, बल्कि यह प्रशासन के लिए भी बड़ा सिरदर्द है। इसका हवाला देते हुए भाजयुमो का कहना है कि जब दूसरे समुदाय वाले हर शुक्रवार को नमाज के नाम पर सड़क बंद कर सकते हैं और प्रशासन उन्हें नहीं रोकता तो हम हनुमान चालीसा का पाठ सड़क पर क्यों नहीं कर सकते।
बाढ़ सरकारी महकमे के अफसरों और नेताओं के लिए उत्सव है। ये वो समय है जब राहत पैकेज के रूप में भ्रष्टाचार का पैकेज आता है। आखिर लगभग पंद्रह साल से सत्ता में रही पार्टी इस समस्या का कोई हल ढूँढने में विफल क्यों रही है? अगर कोसी द्वारा अपने पुराने बहाव क्षेत्र में वापस आने वाले साल को छोड़ दिया जाए, तो बाकी के हर साल एक ही समस्या कैसे आ जाती है?
ऋचा ने कहा, "आज कुरान बाँटने का आदेश दिया गया है, कल को इस्लाम स्वीकार करने या नमाज पढ़ने का आदेश देंगे तो वह कैसे स्वीकार किया जा सकता है। क्या किसी समुदाय विशेष वाले को सजा के तौर पर दुर्गा पाठ करने या हनुमान चालीसा पढ़ने का आदेश कोर्ट ने सुनाया है?"
राज्य के कई गाँवों में 'विलेज डिफेंस कमिटी' गठित की गई है, जो भारतीय सुरक्षा बलों की देखरेख में काम करती है। लेकिन, पीडीपी ने सुरक्षा बलों को भी सांप्रदायिक रंग देना शुरू कर दिया है। पार्टी ने कहा कि सिर्फ़ स्थानीय हिन्दुओं को हथियारों से लैस किया जा रहा है।
"वैज्ञानिक नाम्बी नारायणन पर जासूसी का आरोप लगा था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनके ख़िलाफ़ लगे सारे आरोपों को निराधार पाया था। वे निर्दोष बरी हुए। लेकिन, किसी को नहीं पता है कि उनके ख़िलाफ़ साज़िश किसने रची? ये सब रतन सहगल ने किया। सहगल हामिद अंसारी का क़रीबी है।"
बॉलीवुड में अच्छा रूतबा रखने वाले सेलेब्स ने मीडिया को न जाने कितनी बार ज़लील किया लेकिन मजाल है कि किसी पत्रकार ने उफ़ तक किया हो! सुदूर पहाड़ी कस्बे से आई एक सेल्फ-मेड महिला ने आइना क्या दिखा दिया, गिरोह के गठन की ज़रूरत आन पड़ी!
प्रयागराज के ईसाई प्राइवेट स्कूलों व ईसाई संगठनों के पदाधिकारियों पर ज़मीन घोटाले व हेराफेरी से जुड़े कई मामले दर्ज हैं। ईसाई संस्थाएँ इन मामलों में आपस में ही लड़ रही हैं और एक-दूसरे पर ही मुक़दमा दर्ज करा रही हैं। बिशप समेत 16 के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है।
शाह ने उदाहरण देते हुए कहा कि समान विषय पर नीलगिरि के सांसद ए राजा ने भी अपनी बातें रखी और भाजपा नेता सत्यपाल सिंह भी उसी विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने सलाह दी कि जब कोई अपनी बात रख रहा हो तो उसके बीच में नहीं बोला जाना चाहिए।
"चैनल के ठप्प हो जाने के पीछे प्रधानमंत्री मोदी को वजह बताना बिलकुल झूठ है, भारत सरकार ने कुछ नहीं किया है। इन पति-पत्नी ने तिरंगा TV के स्टाफ़ से मिलने की कोशिश तक नहीं की और चैनल बंद करके लंदन चले गए, जिस कारण मैं इन्हें माल्या बुलाने पर मजबूर हूँ।"
"मजरूल और कुछ अन्य लोग मुझ पर लगातार सेंटर बंद करने का दबाव बना रहे थे। उन्हें जलन थी कि मेरे जैसा दलित कैसे मुस्लिम बहुल इलाके में सफलतापूर्वक एक कोचिंग सेंटर चला सकता है, जबकि उनके समुदाय के लोग ऐसा करने में विफल रहे।"