नहीं, भारत कभी भी पाकिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका या बांग्लादेश नहीं बन सकता। यहाँ वार्ड से लेकर राष्ट्रपति तक का चुनाव उत्सव है। यहाँ लोग विविधता के साथ तारतम्यता में जीते हैं। यहाँ की सेना का अनुशासन और उनकी प्रशिक्षण प्रक्रिया ऐसी है कि तख्तापलट जैसी चीजें सोची भी नहीं जा सकतीं। भारत में लगातार विकास हो रहा है, किसानों को मिल रही सरकारी सहूलियतें उनका जीवन आसान बनाती हैं।
बांग्लादेश में जो स्थिति है उसके बाद 1975 का समय याद आता है जब बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीब-उर-रहमान को परिवार सहित सेना के बागी अधिकारियों ने मौत के घाट उतारा था।
बांग्लादेश में चल रहे हिंसक प्रदर्शन के बीच 100 लोगों की मौत हो गई है। वहीं कई घायल हैं। इनमें कई पुलिसकर्मी भी हैं। हिंसक भीड़ ने मुल्क के 19 पुलिस थानों को निशाना बनाया।
एक तरफ योगेंद्र यादव 'बाबासाहब के सपनों' की बात करते हुए जाति मिटाने की भी बात करते हैं, दूसरी तरफ ये भी चाहते हैं कि हर कोई अपनी जातिगत पहचान आगे करे। दोनों चीजें एक साथ कैसे हो सकती हैं?