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Article 370 पर JNU में बगावत: भीड़ ने सेना को दी गालियाँ, खुद को हिंदुस्तानी मानने से किया इनकार
जेएनयू में आर्टिकल 370 पर सरकार के फैसले के ख़िलाफ़ 'आजादी-आजादी' के नारों की गूँज सुनाई दी। भीड़ ने रात के अँधेरे में यहाँ जमकर नारेबाजी की और अनुच्छेद 370 को वापस लेने की माँग की। इन लोगों ने सेना को लेकर भी काफ़ी अपशब्द बोले।
लाल आतंक: 5 CPIM कार्यकर्ताओं को BJP नेता की हत्या के मामले में उम्रकैद
2008 में CPIM के कार्यकर्ताओं ने भाजपा नेता केवी सुरेंद्रन की उनके घर पर धारदार हथियारों से हत्या कर दी थी। इसके बाद पुलिस घायल सुरेन्द्रन को लेकर अस्पताल पहुँची जहाँ उन्होंने दम तोड़ दिया था।
तबरेज अंसारी की भीड़ हत्या पर पूरा देश लज्जित नहीं है क्योंकि हमारे लिबरल खोखले और हिपोक्रिट हैं
अगर आपको तबरेज की हत्या पर समाज में दोष दिखता है, तो आपको विनय की भी हत्या पर विचलित होना पड़ेगा। अगर आपको किसी चोर की भीड़ हत्या पर संवेदनशील होने का मन करता है तो आपको जीटीबी नगर मेट्रो स्टेशन के बाहर इस्लामी भीड़ द्वारा लिंच किए गए ई-रिक्शा चालक की भी मौत का गम करना चाहिए।
पत्नी और बच्चों के सामने माओवादियों ने दिनदहाड़े पुलिसकर्मी की हत्या की
माओवादी नक्सलियों ने कादती के परिवार के अन्य सदस्यों को कोई हानि नहीं पहुँचाई। चौंकाने वाली बात यह है कि माओवादियों ने पुलिसकर्मी की हत्या की और फिर बिना किसी डर के वो जंगल में वापस चले गए। कॉन्ग्रेस शासित छत्तीसगढ़ राज्य में अराजकता का यह स्पष्ट उदाहरण है।
पश्चिम बंगाल में Nothing is Left of ‘Left’: एक को छोड़कर सबकी जमानत जब्त
हैरान करने वाली बात ये है इन चुनावों में पश्चिम बंगाल में माकपा के वरिष्ठ नेता मोहम्मद सलीम की भी जमानत जब्त हुई। सलीम 34 साल सत्ता में रहे हैं। सलीम को सिर्फ़ 14.25 वोट मिले हैं।
पीएम पद की गरिमा, भारत रत्न और मोदी को गालियाँ: JNU के कपटी कम्युनिस्टों की कहानी, भाग-4
2014 से वह व्यक्ति देश का पीएम है, लेकिन एक मंदबुद्धि, नशेड़ी, पागल उसे बिना किसी सबूत के चोर कह रहा है, उस पीएम को इतनी गालियाँ दी गईं कि गालियों का शब्दकोश भी शर्मिंदा हो जाए, लेकिन उस व्यक्ति ने जब एक तथ्य मात्र कह दिया, तो लुटियंस के पालतू शर्मिंदा हो गए।
एक झूठ को 100 बार बोलकर सच करने का छल: JNU के कपटी कम्युनिस्टों की कहानी, भाग-3
कम्युनिस्ट वे होते हैं, जो समाज की बराबरी के लिए काम करते हैं, दुनिया में सबके हको-हुकूक का झंडा बुलंद करते हैं, धर्मनिरपेक्ष समाज की स्थापना करते हैं, वगैरा-वगैरा। यह नैरेटिव नहीं 'जहर' है जो गढ़ा गया है, षड्यंत्र के तहत स्थापित किया गया है।
लॉस्ट इन ट्रांसलेशन: वामियों का ‘एलिटिस्ट’ अभियान और भारत की आम जनता
वो इंडिया के लोग भारत में आकर, किसी और माहौल, किसी और भाषा में, किसी और विषय की बात कर रहे हैं। बेगुसराय की जनता अपना मत देने के लिए बटन दबाती है। दुआ है कि इस 'दबाने' में भी कहीं उन्हें अपने प्रत्याशी के विरोध के स्वर को दबाया जाना न समझ आ जाए!
परमाणु युद्ध का भय दिखाकर वामपंथी बुद्धिजीवियों ने देश को आर्थिक रूप से खोखला किया
विश्व के हर बड़े देश ने परमाणु अस्त्र इसलिए बनाए ताकि उनके ऊपर परमाणु हमला करने से पहले दूसरा देश दस बार सोचे। अब यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की जनता को इस बात की याद दिलाते हैं कि हमारे पास भी परमाणु अस्त्र हैं इसलिए हम दूसरों के बम से सुरक्षित हैं तो इसमें बुरा क्या है?
वामपंथी का पेज घंटों में रि-स्टोर, दक्षिणपंथी अंशुल को फेसबुक ने हफ्ते भर लटकाया
प्रथमदृष्टया यह फेसबुक के राईट-विंग के खिलाफ पूर्वग्रह का मामला लगता है। क्योंकि यदि ध्रुव राठी के मामले में फेसबुक तेजी से भूल-सुधार कर सकता है तो अंशुल सक्सेना मामले में क्यों नहीं?