अंग्रेज सिपाही प्लेग नियंत्रण के नाम पर औरतों-मर्दों को नंगा करके जाँचते थे। चापेकर बंधुओं ने इसका आदेश देने वाले अफसर वॉल्टर चार्ल्स रैंड का वध करने की ठानी। प्लान के मुताबिक जैसे ही वो आया, दामोदर ने चिल्लाकर अपने भाइयों से कहा "गुंडया आला रे" और...
जब सरकार जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य बनाने की कोशिश कर रही है, तो यह 'एक्टिविस्ट' घाटी की एक नकारात्मक छवि बनाने में लगे हुए हैं। इसीलिए प्रेस क्लब ने उन्हें उन रिपोर्टों की रिलीज़ के लिए ज़मीन देने से मना कर दिया, जिनकी पुष्टि नहीं की जा सकती।
"आप लोग डरिए मत, ये हम कह रहे हैं... ये जुल्म कश्मीरी बर्दाश्त नहीं करेगा। हिन्दुस्तान तो फासिस्ट है... ये हमारे लिए एक लानत है और मैं इस लानत को स्वीकार नहीं करूँगा।"
जेएनयू में आर्टिकल 370 पर सरकार के फैसले के ख़िलाफ़ 'आजादी-आजादी' के नारों की गूँज सुनाई दी। भीड़ ने रात के अँधेरे में यहाँ जमकर नारेबाजी की और अनुच्छेद 370 को वापस लेने की माँग की। इन लोगों ने सेना को लेकर भी काफ़ी अपशब्द बोले।
2008 में CPIM के कार्यकर्ताओं ने भाजपा नेता केवी सुरेंद्रन की उनके घर पर धारदार हथियारों से हत्या कर दी थी। इसके बाद पुलिस घायल सुरेन्द्रन को लेकर अस्पताल पहुँची जहाँ उन्होंने दम तोड़ दिया था।
अगर आपको तबरेज की हत्या पर समाज में दोष दिखता है, तो आपको विनय की भी हत्या पर विचलित होना पड़ेगा। अगर आपको किसी चोर की भीड़ हत्या पर संवेदनशील होने का मन करता है तो आपको जीटीबी नगर मेट्रो स्टेशन के बाहर इस्लामी भीड़ द्वारा लिंच किए गए ई-रिक्शा चालक की भी मौत का गम करना चाहिए।
माओवादी नक्सलियों ने कादती के परिवार के अन्य सदस्यों को कोई हानि नहीं पहुँचाई। चौंकाने वाली बात यह है कि माओवादियों ने पुलिसकर्मी की हत्या की और फिर बिना किसी डर के वो जंगल में वापस चले गए। कॉन्ग्रेस शासित छत्तीसगढ़ राज्य में अराजकता का यह स्पष्ट उदाहरण है।
हैरान करने वाली बात ये है इन चुनावों में पश्चिम बंगाल में माकपा के वरिष्ठ नेता मोहम्मद सलीम की भी जमानत जब्त हुई। सलीम 34 साल सत्ता में रहे हैं। सलीम को सिर्फ़ 14.25 वोट मिले हैं।
2014 से वह व्यक्ति देश का पीएम है, लेकिन एक मंदबुद्धि, नशेड़ी, पागल उसे बिना किसी सबूत के चोर कह रहा है, उस पीएम को इतनी गालियाँ दी गईं कि गालियों का शब्दकोश भी शर्मिंदा हो जाए, लेकिन उस व्यक्ति ने जब एक तथ्य मात्र कह दिया, तो लुटियंस के पालतू शर्मिंदा हो गए।
कम्युनिस्ट वे होते हैं, जो समाज की बराबरी के लिए काम करते हैं, दुनिया में सबके हको-हुकूक का झंडा बुलंद करते हैं, धर्मनिरपेक्ष समाज की स्थापना करते हैं, वगैरा-वगैरा। यह नैरेटिव नहीं 'जहर' है जो गढ़ा गया है, षड्यंत्र के तहत स्थापित किया गया है।