क्या तुमको सोनिया गाँधी से लगाव है, क्या तुमको राहुल गाँधी से प्रेम है, या फिर प्रियंका वाड्रा से मोहब्बत है? अगर ऐसा है भी तो उसका एक सपाट कारण बता दो कि इन लोगों का देश, समाज और अर्थव्यवस्था में क्या योगदान है जो तुम इन पर अपनी जान न्यौछावर करते हो?
लोजपा भी नवादा पर अपना दावा छोड़ने को तैयार नही है और गिरिराज सिंह भी पीछे नहीं हट रहे। हालाँकि, गिरिराज सिंह ने कहा है, "चुनाव लड़ूँ या नही, पार्टी की सेवा की है और आगे भी करता रहूँगा।"
प्रधानमंत्री मोदी जहाँ बनारस से चुनाव लड़ेंगे, वहीं अमित शाह को गाँधीनगर की ज़िम्मेदारी दी गई है। गाँधीनगर में भाजपा ने 1989 से आजतक चुनाव नहीं हारा है।
आप सोच कर भी नहीं सोच पाएँगे कि अमित शाह के बाद भाजपा का अध्यक्ष कौन बनेगा, मोदी के बाद भाजपा का पीएम कौन होगा या फिर यही देख लीजिये कि अटल जी और आडवानी जी की विरासत को कौन आगे बढ़ा रहा है?
ये वही लम्पटों का समूह है जो मोदी को घेरने के लिए एक हाथ पर यह कहता है कि विकास नहीं हुआ है, रोजगार कहाँ हैं, और दूसरे हाथ पर, फिर से मोदी को ही घेरने के लिए ही, यह कहता है कि गडकरी ने सही काम किया है, उसका काम दिखता है।
गहलोत ने गम्भीरता से अपनी बात रखते हुए कहा कि अगर मोदी दोबारा जीत जाता है तो या तो यहाँ चुनाव ही नहीं होंगे या भारत में रूस या चीन जैसी स्थिति हो जाएगी। गहलोत ने आगे बताया कि मोदी चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।
बंगाल में वामदलों ने कॉन्ग्रेस को दरकिनार कर दिया। सपा-बसपा ने यूपी में कॉन्ग्रेस को धता बता कर गठबंधन कर लिया। अब तेजस्वी यादव के अल्टीमेटम के बाद बिहार कॉन्ग्रेस को या तो कम सीटों पर समझौता करना पड़ेगा या अकेले चुनाव लड़ना पड़ेगा।
पश्चिम बंगाल में बीजेपी को सबसे बड़ा फायदा होने वाला है। यहाँ भाजपा को 32 प्रतिशत वोट शेयर और 11 सीटें प्राप्त हो सकती है। जबकि कॉन्ग्रेस और लेफ्ट का खाता खुलना न के बराबर नज़र आ रहा है।
हिन्दी में कहें तो हताश कॉन्ग्रेस के लिए हाथ-पाँव मारकर, नदी में विसर्जन का नारियल निकालने के चक्कर में मरे हुए आदमी की काई जमी खोपड़ी का भी मिल जाना एक उपलब्धि ही है।