तीनों छात्रों के नाम आमिर, बासित और तालिब हैं। वीडियो में बैकग्राउंड में गाना बज रहा है- "खाई है ये कसम, खाई है ये कसम, सुन ले दुश्मन सभी, है ये दिल की सदा.. पाकिस्तान जिंदाबाद, पाकिस्तान जिंदाबाद।" वीडियो के बीच में एक छात्र आजादी के नारे भी लगाते हुए सुना जा सकता है।
जम्मू-कश्मीर में कभी पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाते तो कभी सेना पर पत्थरबाजी का सीन आम है। लेकिन ऐसा पहली बार हुआ जब कश्मीरी पंडित ने 'फ्री कश्मीर फ्रॉम इस्लामिक टेररिज़्म' का पोस्टर लहराया हो, विदेशी दल को जमीनी हकीकत से वाकिफ कराया हो।
उस समय के कैबिनेट मंत्री मोरारजी देसाई ने तो विपक्षी दलों को भी इस संधि के खिलाफ एकसाथ होने की सलाह दे डाली थी। तत्कालीन गृहमंत्री गोविन्द बल्लभ पन्त भी पाकिस्तान को दी जाने वाली इस आर्थिक राशि से नाखुश थे। वो चाहते थे कि इस आर्थिक राशि का उस धन के साथ सामन्जस्य बैठाया जाए, जो हिन्दू शरणार्थी पाकिस्तान में छोड़ कर आ चुके थे।
"मैं और एला उस दौरान बकिंग्घम पैलेस में महारानी के स्विमिंग पूल में नंगे तैरते थे। दोनों ने साथ में MDMA (एनर्जी और सेंसेशन बढ़ाने के लिए लिया जाने वाला एक तरह का ड्रग) भी लेते थे।" इसके बाद आतिश अपने लेख को थोड़ा एंगल देते हैं - भावनाओं का तड़का लगा कर। वो बताते हैं कि...
"अगर सरकार से उन्हें परमिशन नहीं दी गई तो वह तय कार्यक्रम से एक दिन पहले आठ नवम्बर को वाघा स्थित भारत-पाक सीमा से पाकिस्तान जाएँगे, रात को गुरूद्वारे में ठहर कर अगले कार्यक्रम में सम्मिलित होंगे और फिर अगले दिन गलियारे के ज़रिए भारत वापस आएँगे।"
"मैं पाकिस्तान गया हूँ। वहाँ के लोगों में मेहमाननवाजी कूट-कूट कर भरी है।पाकिस्तान के बारे में गलत चित्र पेश किया जा रहा है कि वहाँ लोग खुश नहीं हैं। यहाँ (भारत) सरकार राजनीतिक लाभ लेने के लिए पाकिस्तान के बारे में झूठी खबरें फैला रही है।”
पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता आसिफ गफूर ने कहा कि शाहरुख खान इस तरह की सीरीज बनाने की बजाए जम्मू कश्मीर में अत्याचारों और आरएसएस के हिंदुत्ववादी नाजीवाद के खिलाफ बोलकर शांति को बढ़ावा दे सकते हैं।
पाकिस्तान की समस्या यह है कि उसका दम्भ भी भीख पर टिका हुआ है और अमेरिका समेत कई यूरोपीय देशों ने उसके कटोरे में सिक्के डालने से मना कर दिया है। अब पाकिस्तान उस कटोरे को बेच कर नान और टिमाटर का जुगाड़ कर सकता है, लेकिन भारत से युद्ध की सोचने पर भी, उसकी हालत यह होगी कि वहाँ की जनता भारत के बमों से नहीं, भूख से मर जाएगी।
इनकी मूर्खता आप देखिए कि खुद खाने के लाले पड़े हैं और चाहते हैं कि कश्मीर ले कर उन्हें भी अपने जैसा बना देंगे। यही तो खिलाफत है कि खलीफा के शासन में सारे लोग सिर्फ इसलिए खुश रहें कि अब तो हम इस्लामी खिलाफत में हैं और शरिया कानून है यहाँ। वो रुक कर ये तक नहीं सोचते कि ऐसे शासन में उनका जीवन स्तर क्या होगा?
रवीश कुमार ने पुलवामा हमले के बाद एक इंटरव्यू में कहा था कि भारतीय मीडिया बेरोजगारी जैसे मसलों की बजाए पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को तूल दे रही है ताकि सत्ताधारी दल को चुनावी फायदा हो सके। पाकिस्तानी मीडिया ने इस बयान का हवाला देकर भारत पर युद्धोन्माद पैदा करने का आरोप लगाया।