सीएए विरोधियों और माओवादियों के बीच लिंक मिलने के बाद राज्य में सुरक्षा के लिए एहतियाती कदम उठाए गए हैं। बताया जा रहा है कि नागरिकता कानून का विरोध कर रहे लोग सरकारी कार्यालयों में अनिश्चितकालीन हड़ताल करवाने की फिराक में लगे हुए हैं।
इस की जाँच हो कि एनकाउंटर में शामिल अफसरों के हाथों इस घटना के दौरान कोई आपराधिक कृत्य तो नहीं घटित हुआ है। लेकिन इसे एनकाउंटर की सत्यता, उसकी परिस्थितियों या माओवाद के आरोपितों की मृत्यु पर सवाल के रूप में न देखा जाए।
एलन सुहैब और थाहा फ़ज़ल ने माओवादियों के मारे जाने पर राज्य पुलिस को धमकाते हुए नोटिस जारी किए थे। प्रारम्भिक जाँच में, पुलिस ने दावा किया है कि इस बात के ठोस सबूत हैं कि दोनों ने माओवादी पदाधिकारियों के साथ संपर्क बना रखा था।
डॉ जगन के हैदराबाद के तरनाका स्थित निवास पर ली गई तलाशी के दौरान भड़काऊ सामग्री, माओवादी पार्टी के लेटरहेड और प्रतिबंधित साहित्य बरमाद हुई। जिसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
2010 में सूरत ज़िले की कामरेज पुलिस ने दक्षिण गुजरात में नक्सल गतिविधियों का प्रचार करने के लिए गाँधी समेत 25 के ख़िलाफ़ FIR दर्ज की गई थी। इस मामले में 24 आरोपित गिरफ़्तार किए जा चुके हैं। सीमा हिरानी पुलिस की गिरफ़्त से दूर है।
शुक्रवार की शाम को बारिश के साथ आकाशीय बिजली के साथ गिरी आकाशीय बिजली के सम्पर्क में आने से सड़क पर बिछाए गए सभी 56 IED बम ब्लास्ट हो गए। इतनी भारी मात्रा में IED बिछाने का मक़सद किसी बड़ी घटना को अंजाम देना था।
माओवादी नक्सलियों ने कादती के परिवार के अन्य सदस्यों को कोई हानि नहीं पहुँचाई। चौंकाने वाली बात यह है कि माओवादियों ने पुलिसकर्मी की हत्या की और फिर बिना किसी डर के वो जंगल में वापस चले गए। कॉन्ग्रेस शासित छत्तीसगढ़ राज्य में अराजकता का यह स्पष्ट उदाहरण है।
इन हथियारों के बरामद होने के बाद माना जा रहा है कि माओवादी पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तानी आतंकी संगठन के संपर्क में हैं। इनका मकसद भारत की शासन व्यवस्था के विरुद्ध खड़े होकर देश को तोड़ना है।
मुझे इससे कोई मतलब नहीं है कि फ़लाँ किताब के फ़लाँ चैप्टर में यह लिखा है कि एक मानव की हत्या पूरे मानवता की हत्या है, क्योंकि ये कहने की बातें हैं, इनका वास्तविकता से कोई नाता नहीं है। ये फर्जी बातें हैं जो आतंकियों के हिमायती उनके बचाव में इस्तेमाल करते हैं।
ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इन माओवादियों का इरादा किसी बड़ी घटना को अंजाम देने का था। सुरक्षा इंतज़ाम को कड़ा करते हुए पूरे इलाक़े की घेराबंदी की गई है जिससे इन माओवादियों के भागने का मौक़ा न मिल सके।