Tuesday, October 8, 2024
Homeरिपोर्टराष्ट्रीय सुरक्षामाओवादी कैसे मारे गए, इसकी जाँच हो लेकिन रिपोर्ट आने तक हम कोई सवाल...

माओवादी कैसे मारे गए, इसकी जाँच हो लेकिन रिपोर्ट आने तक हम कोई सवाल नहीं खड़े कर रहे: केरल HC

इसका कोई औचित्य नहीं कि शांतिप्रिय आम नागरिकों और नक्सल आतंकियों के ह्यूमन राइट्स एक जैसे हों। यह न केवल देश के सिद्धांतों के ख़िलाफ़ होगा, बल्कि कानून का पालन करने वाले आम नागरिकों का मखौल उड़ाना उनका अपमान होगा।

केरल हाई कोर्ट ने पलक्क्ड़ में अक्टूबर माह में मारे गए संदिग्ध माओवादियों के एनकाउंटर की परिस्थितियों की जाँच के आदेश दे दिए हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार कोर्ट ने कहा है कि इस की तफ्तीश हो कि एनकाउंटर में शामिल अफसरों के हाथों इस घटना के दौरान कोई आपराधिक कृत्य तो नहीं घटित हुआ है। लेकिन साथ ही साथ यह भी स्पष्टीकरण आदेश में उल्लिखित है कि जाँच के आदेश को पीठ के इस एनकाउंटर की सत्यता, उसकी परिस्थितियों या माओवाद के आरोपितों की मृत्यु पर सवाल के रूप में न देखा जाए। इन विषयों पर अभी अदालत दूर-दूर तक कोई राय नहीं व्यक्त कर रही है।

आदेश में जस्टिस आर नारायण पिशारदी ने अधिकारियों को वर्तमान के नियमों और रवायतों के अनुसार दोनों माओवादियों के शवों की अंत्येष्टि करने की भी अनुमति दे दी है। उन्होंने सेशंस कोर्ट के उस निर्णय को पलट दिया जिसमें राज्य सरकार को कहा गया था कि उसे अगले आदेश तक कार्तिक और मनिवासकाम नामक माओवाद संदिग्धों के शवों को संभाल कर रखना होगा। यह आदेश उन दोनों के रिश्तेदारों की याचिका पर दिया गया था।

इस घटना के बाद पिछले हफ्ते (6 नवंबर, 2019 को) टाइम्स ऑफ़ इंडिया के सम्पादकीय पेज पर प्रकाशित एक लेख में केरल के मुख्य सचिव टॉम जोसे ने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद की परिभाषा (वे तत्व जो हिंसा का इस्तेमाल राजनीतिक मंशा से करते हैं, और इस प्रक्रिया में नागरिकों को नुकसान पहुँचाते हैं या नुकसान की राह पर धकेलते हैं। अतः एक लोकतान्त्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार के खिलाफ हथियारबंद लड़ाई करने वाले नागरिकों को नुकसान पहुँचाने के चलते आतंकवादी होते हैं) के हिसाब से माओवादी आतंकी ही हुए। उन्होंने यह पक्ष रखा कि सरकारों का काम निहत्थे और शांतिप्रिय नागरिकों की हिफाज़त करना होता है।

जोसे ने लिखा कि इसका कोई औचित्य नहीं कि शांतिप्रिय आम नागरिकों और नक्सल आतंकियों के ह्यूमन राइट्स एक जैसे हों। यह न केवल देश के सिद्धांतों के ख़िलाफ़ होगा, बल्कि कानून का पालन करने वाले आम नागरिकों का मखौल उड़ाना उनका अपमान होगा।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

फूट गया ‘इंडिया आउट’ का बुलबुला, भारतीयों से राष्ट्रपति मुइज्जू ने लगाई मालदीव आने की गुहार: PM मोदी ने ₹3300 करोड़ का दिया ‘सहारा’

राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की भारत यात्रा के बाद मोदी सरकार ने मालदीव को 400 मिलियन डॉलर की आर्थिक सहायता देने का फैसला किया है।

‘मेहदी फाउंडेशन’ से जुड़ा है UP का परवेज अहमद, पाकिस्तानी मुस्लिमों को ‘हिंदू पहचान’ देकर भारत में बसाता है: खुद की बीवी भी सीमा...

पुलिस ये छानबीन कर रही है कि पाकिस्तानी परिवारों का कोई आपराधिक बैकग्राउंड है या नहीं। अगर नहीं, तो फिर उन्हें वापस उनके मुल्क भेजने की प्रक्रिया की जाएगी।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -