जनता वापिस कॉन्ग्रेस के 'माई-बाप समाजवाद' के युग में नहीं जाना चाहेगी, जहाँ राहुल गाँधी जनता को आर्थिक रूप से सरकार पर निर्भर रखना चाहते थे या जहाँ फ़ाइलें इतना धीमें चलें कि नेहरू द्वारा उद्घाटित सरदार सरोवर बाँध का लोकार्पण मोदी के हाथों हो।
अब ये कातिलों से लेकर गबन के आरोपियों का बचाव केवल इस आधार पर करना चाहते हैं कि फलाना मोदी के खिलाफ बोला था, ‘एंटी-RSS’ था, तो अगर इसे जेल भेजा गया तो सरकार के खिलाफ बोलने वालों में ‘डर का माहौल’ बन जाएगा।
सऊदी अरब, भारत का कच्चे तेल का शीर्ष आपूर्तिकर्ता है। हालाँकि दोनों देशों ने ऊर्जा सहयोग से आगे बढ़कर अपने संबंधों को विस्तार दिया है। दोनों देशों की सरकारें सामरिक साझेदारी के लिए सहमत हुई हैं।
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने ट्रिपल तलाक बिल के संसद से पास होने की उम्मीद जताई है। उनका कहना है कि संसद निकाह-हलाला को भी बैन करें, यह अमानवीय और जघन्य हैं।
नए संशोधन के बाद एनआईए को किसी भी राज्य में सर्च के लिए वहाँ के शीर्ष पुलिस अधिकारी की अनुमति लेने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। हालाँकि, अभी भी एनआईए को ऐसी कार्रवाई के लिए अनुमति की ज़रूरत नहीं पड़ती लेकिन क़ानून व्यवस्था ख़राब होने की स्थिति में ऐसा करना होता है।
बिहार में किसी बहुराष्ट्रीय आईटी कंपनी द्वारा यह पहला बड़ा निवेश होगा। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि TCS जैसी बड़ी कंपनी का बिहार में निवेश एक अच्छी शुरुआत है। इससे प्रेरित हो कर अन्य आईटी कंपनियाँ भी राज्य में निवेश करने के लिए आगे आएँगी।
इसमें कहा गया है कि सभी मंत्रालयों व विभागों से आग्रह है कि वे सार्वजिनिक उपक्रमों/बैंकों और स्वायत्त संस्थानों समेत अपने प्रशासनिक नियंत्रण में आने वाले विभागों के कर्मचारियों के कामकाज की ‘कायदे कानून और सही भावना’ के अनुसार समीक्षा करें।
स्वरोजगार के लिए लगभग 19 करोड़ लोगों को लोन दिए गए हैं। इस योजना का विस्तार करते हुए अब 30 करोड़ लोगों तक इसका लाभ पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि मुद्रा लोन का अब 11 करोड़ अतिरिक्त लोगों तक फायदा पहुँचने की उम्मीद है।
"वन नेशन-वन इलेक्शन' से सत्ताधारी पार्टी को लाभ होने की बात गलत है। ओडिशा, आंध्र प्रदेश और अरुणाचल में लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव हुए। इन राज्यों के परिणाम को देखते हुए सत्ताधारी पार्टी को एकतरफा लाभ वाली बात तार्किक नहीं है।"
...लेकिन 2019 के चुनावों के बाद से इन नमक-हराम मीडिया गिरोहों ने नेहरू को ऐसे निकाल फेंका है जैसे लोग चाय में से मक्खी को निकाल फेंकते हैं। मीडिया अब समझ गया है कि वो नेहरू को गन्ने की तरह गन्ने की मशीन में ठूँसकर जितना निचोड़ सकते थे, निचोड़ चुके हैं।