NDTV की निधि राजदान 'Kashmirosint' नामक ट्विटर हैंडल से अक्सर बातचीत किया करती थीं। अब सामने आया है कि ये ट्विटर अकाउंट आतंकवादियों द्वारा संचालित किया जाता था और इसके द्वारा प्रोपेगंडा व फेक न्यूज़ फैलाया जाता था। दिल्ली दंगों में भी इसका इस्तेमाल किया गया।
राह चलते किसी को पकड़ लो। उससे कुछ बुलवा दो। फिर उसे TV पर दिखाओ... और किसी को बदनाम कर दो। जब हंगामा हो तो सोशल मीडिया पर चुपके से एक ट्वीट डाल दो। - यह NDTV का फॉर्मूला है। दिल्ली में हुए हिंदू विरोधी दंगों में कपिल मिश्रा को बदनाम करने के लिए भी यही तरीका अपनाया NDTV ने, लेकिन दाँव उल्टा पड़ गया - बहुत गाली पड़ रही है।
NDTV का रिपोर्टर, कैमरा और माइक - सामने खड़ा संजय गुप्ता नाम का एक आदमी। इस आदमी के अनुसार कपिल मिश्रा के 'भड़काऊ' भाषण के बाद हिंसा भड़की। लेकिन असली खबर इसके बाद है। NDTV इस आदमी को कपिल मिश्रा का मकान मालिक बताता है, जबकि सच्चाई यह है कि संजय नाम को कोई भी शख्स कपिल मिश्रा का कभी भी मकान मालिक नहीं रहा।
"सोशल मीडिया पर यूजर्स का कहना है कि शाहरुख की गिरफ्तारी के बाद एनडीटीवी पर मातम छा गया है। रवीश ने बहुत मेहनत की थी उसे अनुराग मिश्रा बताने में। लेकिन अब हकीकत का खुलासा होने के बाद हो सकता है कि रवीश कुमार स्क्रीन काली कर दे।"
'द वायर' ने इन दोनों स्कूलों को लेकर अपनी 'ग्राउंड रिपोर्टिंग' में झूठ फैलाया है। प्रोपेगंडा पोर्टल ने दावा किया है कि दोनों स्कूलों के मालिक समुदाय विशेष से ही हैं। बता दें कि डीआरपी स्कूल के ओनर पंकज शर्मा हिन्दू हैं।
पोस्ट में पहले रवीश कुमार लादेन कि फोटो को फोटोशोप बता रहे थे। अंत में रवीश कुमार ने पाठकों के लिए नोट में लिखा कि यह पोस्ट अब अपडेट कर ली गई है। इस बीच जो 5 बार एडिटिंग की गई - असली खबर यहीं छुपी है और मजेदार भी - सब स्क्रीनशॉट में कैद कर लिया गया है।
तस्वीर में दिख रहा है कि एनडीटीवी के पत्रकार विष्णु सोम के टेबल पर एक ऐसा डॉल रखा हुआ है, जिसकी शक्ल आतंकी ओसामा बिन लादेन से मिलती-जुलती है। ओसामा को अमेरिका ने पाकिस्तान में मार गिराया था।
विडियो में मस्जिद की तस्वीरें और उसपर इकट्ठा ईंट-पत्थर एकदम क्लियर हैं। लेकिन एनडीटीवी की एकतरफा पत्रकारिता की हद देखिए... लोगों को बरगलाने के लिए उसने मस्जिद को क्रॉप कर दिया ताकि इस्लामी आतताइयों की हकीकत छिपी रहे।
26 फरवरी को रवीश कुमार ने जिस तरह से तथ्यों को प्राइम टाइम में पेश किया वह इस बात का सबूत है कि मेनस्ट्रीम मीडिया दंगाई के मुस्लिम होने पर न केवल उसका नाम छिपाता है, बल्कि उसे क्लीनचिट भी देता है।