भारत-चीन के सैनिकों के लद्दाख सीमा क्षेत्र में टकराव के बाद 'ताइवान न्यूज' की वेबसाईट पर एक पोस्टर नजर आया है, जो कि सोशल मीडिया पर आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
एक तरफ एक मजहब है, जो कि अपने मूल रूप में प्रसारवादी, राजनैतिक और ऐतिहासिक तौर पर हिंसक और लूट-पाट से ले कर आतंक का शासन स्थापित करने पर तुला हुआ है, और दूसरी तरफ उसी की प्रसारवादी नीतियों को झेल कर हर बार खड़ा होने वाला धर्म! दोनों एक हैं ही नहीं, आप क्यों मिलाना चाह रहे हो?
प्रतीक चिह्न की ऊपरी परिधि में ट्रस्ट का नाम लिखा है, जबकि नीचे 'रामो विग्रहवान धर्म:' अंकित किया गया है, जिसका अर्थ है- भगवान श्रीराम धर्म के साक्षात् साकार रूप हैं। इस तस्वीर में भगवान अभयदान की मुद्रा में दिख रहे हैं।
विहिप प्रवक्ता ने आगे कहा कि भगवान श्रीराम ने अपने मन्दिर से पहले देशवासियों के कुशलक्षेम हेतु पीएम केयर्स फण्ड में दान देकर बहुत बड़ी कृपा की है। अब इस फण्ड में कभी कोई कमी नहीं आएगी।
"मुझे यह बताते हुए काफी ख़ुशी हो रही है कि दूरदर्शन पर प्रसारित हो रहा शो 'रामायण' 2015 से अब तक का सबसे अधिक टीआरपी जनरेट करने वाला हिंदी जनरल एंटरटेनमेंट शो बन गया है।"
इस अप्रकाशित पुस्तक में यह भी खुलासा किया गया है कि जामवंत ने हनुमान को नहीं बल्कि जवाहरलाल नेहरू को उनका बल याद दिलाया था, इसके बाद ही वो स्वतंत्रता संग्राम में कूदे थे। साथ ही बताया गया था कि रावण ने मारीच नहीं बल्कि दिग्विजय सिंह को स्वर्ण मृग बनाकर सीता माता के पास भेजा था।
सबसे पहले 67 एकड़ की भूमि का माप लिया जाएगा और ज़मीन को सीमांकित किया जाएगा। इसके बाद मंदिर के शिलान्यास का कार्यक्रम होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से निवेदन किया जाएगा कि वो मंदिर का शिलान्यास करें। मंदिर परिसर का कुल क्षेत्रफल 100 एकड़ हो सकता है।