पीड़िता ने 10 नवंबर को दुष्कर्म की शिकायत की थी। पुलिस मामले की जॉंच के लिए उसे नासिक लेकर गई। लेकिन, आरोपित पर कोई कार्रवाई नहीं की। इसका फायदा उठाकर आरोपित ने उसके पिता को मौत के घाट उतार दिया।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद केस को लखनऊ से दिल्ली ट्रांसफर किया गया था। 5 अगस्त से ही नियमित सुनवाई शुरू कर दी गई थी। सुनवाई बंद कमरे में हो रही थी। इस दौरान अभियोजन पक्ष के 13 गवाहों और बचाव पक्ष के 9 गवाहों के बीच जिरह हुई।
आठ दिसंबर को पीड़िता दादी के घर जाने के लिए हशमाबाद रोड पर खड़ी थी। इस दौरान ऑटो रिक्शा चालक आमिर उनके पास आया और दादी के घर तक लिफ़्ट देने की बात कही। लेकिन, दोनों बहनों को लेकर वह वाट्टेपल्ली चला गया और उन्हें बंधक बना लिया।
"चारों को पहले पीछे की ओर (पीठ की तरफ) दोनों हाथ, फिर रस्सी से दोनों पाँव बाँध दूँगा। चारों को गले में फंदा डालकर खड़ा कर दूँगा। जैसे ही जेलर रुमाल हिलाकर इशारा करेगा, एक साथ चारों ही फंदों के तख्ते का लीवर खींच दूँगा।"
एक 9 साल की बच्ची से बलात्कार का दोषी। दूसरे ने महिला का सिर धड़ से अलग किया। तीसरा अपने ही 6 सप्ताह के बेटे की हत्या का गुनहगार। सबको मिल गई माफी। जानें कैसे हुआ...
खून से अमित शाह को लिखा खत। कहा- निर्भया केस के गुनहगारों को मेरे हाथों फाँसी होनी चाहिए। इससे देश भर में यह संदेश जाएगा कि एक महिला भी फाँसी दे सकती है।
पुलिस ने लड़की का मेडिकल कराने के बाद पीड़िता के बयान पर आईपीसी की धारा 342, धारा 366ए, धारा 376 के अलावा पॉक्सो एक्ट की धारा 6 और धारा 17 में मामला दर्ज कर शाहबुद्दीन गाजी और उसकी पत्नी रेहाना बीवी को गिरफ्तार कर लिया।
नए क़ानून के तहत रिकॉर्ड समय सात दिनों के भीतर यौन अपराधों के मामलों की जाँच और चार्जशीट दाखिल करने की तारीख से 14 कार्य दिवसों के भीतर मुक़दमे को पूरा करने की बात कही गई है। नए पारित क़ानून के तहत सज़ा के ख़िलाफ़ अपील को छ: महीने के अंदर निपटाना होगा।